लख़नऊ: जातिवाद जैसी सामाजिक बुराई की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म तर्पण अपने विषय के चलते सेंसर से लम्बे मतभेद के बाद अब प्रदर्शन के लिए तैयार है. निर्मात्री एवं निर्देशक नीलम आर सिंह ने फ़िल्म के कलाकारों के साथ लख़नऊ में फ़िल्म का सेकेण्ड ट्रेलर लांच किया साथ ही पत्रकारों को सम्बोधित किया. फ़िल्म "तर्पण" ने दुनिया के कई राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में अब तक २८ अवार्डस पाए हैं और दर्शकों का प्रतिसाद पाने के बाद अब फ़िल्म तर्पण सिनेमागृहों में रिलीज के लिए तैयार है.

इस अवसर पर निर्माता एवं निर्देशक नीलम आर सिंह के साथ ही नन्द किशोर पंत, संजय सोनू, राहुल चौहान, अभिषेक मदरेचा, शक्ति मिश्रा, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, अरुण शेखर , सिद्धार्थ श्रीवास्तव, सचिन गोस्वामी, आकाश आनंद और फ़िल्म के प्रेज़ेन्टर इन्द्रवेश योगी उपस्थित रहे.

एमिनेंस स्टुडिओज़ प्रस्तुति और मिमेसिस मीडिया के बैनर तले निर्मित फ़िल्म तर्पण वर्तमान समय में समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी का समर्थन करती है साथ ही जातिवाद के सामाजिक समीकरण पर कुठाराघात करती है. समाज में महिलाओं के कई भावनात्मक और सामाजिक पहलूओं को ये फ़िल्म गहराई से दिखाती है.

फ़िल्म में प्रमुख भूमिकाओं में नन्द किशोर पंत, संजय सोनू, राहुल चौहान, अभिषेक मदरेचा, पूनम इंगले, नीलम, वंदना अस्थाना, अरुण शेखर, पद्मजा रॉय नजर आएंगे. यह फ़िल्म लेख़क शिवमूर्ति जी की नॉवेल पर आधारित है, स्क्रीनप्ले और संवाद धर्मेंद्र वी सिंह ने लिखे हैं. गीतकार राकेश निराला के लिखे गीतों को मनोज नयन ने संगीतबद्ध किया है. सुकुमार जटानिया सिनेमैटोग्राफ़र हैं और सुनील यादव ने संपादन किया है. फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर संजय पाठक ने तैयार किया है.

तर्पण मूलरूप से तॄप्त शब्द से बना है जिसका अर्थ दूसरे को संतुष्ट करना है. तर्पण का शाब्दिक अर्थ देवताओं, ऋषियों और पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए जल अर्पित करना है.

फ़िल्म तर्पण की कहानी बेहद ही संवेदनशील विषय से जुडी है. गाँव की छोटी जाति की युवती राजपतिया को एक ऊँची जाति के ब्राह्मण लड़के चन्दर द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. अपने लाभ और स्वार्थ के चलते कुछ लोग इस घटना को एक राजनैतिक मुद्दे का रूप दे देते हैं; और जब गवाहों के अभाव में चन्दर को कोर्ट से ज़मानत मिल जाती है तो एक स्थानीय राजनेता राजपतिया के भाई को समझाता है कि किस तरह से बदला लिया जान चाहिए…

सेकण्ड ट्रेलर लाँच के इस अवसर पर निर्देशक नीलम आर सिंह ने कहा कि "फ़िल्म तर्पण की कहानी मेरे दिल के बहुत क़रीब है, क्यूंकी मैंने ऐसी घटनाओं को अपनी नज़र के सामने घटित होते हुए देखा है, हालाकि उस समय मेरी उम्र कम थी और परिस्थितियाँ कुछ कहने के लिए अनुकूल नहीं थी लेकिन मैं हमेशा एक ऐसी फ़िल्म बनाना चाहती थी जो समाज में महिलाओं की समानता का पक्ष रक्खे और समाज में जातिवाद जैसी सामाजिक बुराई पर सीधा प्रहार करे और वो भी महिलावादी झंडे के बिना! इसी लिए, पहला मौका मिलते ही मैंने फिल्म तर्पण बनाई है जो समाज में ऊँची जाति छोटी जाति के बीच सामाजिक बुराईयों की परत को बहुत ही क़रीब से बताती है, साथ ही दर्शकों को बिना कोई उपदेश दिए सवाल उठती है कि हम क्यों मानवीय मूल्यों और भावनाओं के प्रति संवेदनशील बने रहना भूल चुके हैं? या चाहकर भी अपनी संवेदनशीलता प्रकट नहीं कर पा रहे हैं??"