लखनऊ: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का मामला उठाया है. उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की मेहनत का रोज़ अपमान होता है, सैकड़ों पीड़ितों ने आत्महत्या कर डाली. जो सड़कों पर उतरे सरकार ने उन पर लाठियां चलाईं, रासुका दर्ज करा दिया. भाजपा के नेता टीशर्टों की मार्केट्टिंग में व्यस्त हैं, काश वे अपना ध्यान दर्दमंदों की ओर भी डालते.

प्रियंका ने अनुदेशकों के मामले पर भी ट्वीट करते हुए कहा, मैं लखनऊ में कुछ अनुदेशकों से मिली. उप्र के मुख्यमंत्री ने उनका मानदेय रु 8470 से रु 17,000 की घोषणा की थी। मगर आजतक अनुदेशकों को मात्र 8470 ही मिलता है. सरकार के झूठे प्रचार का शोर है, लेकिन अनुदेशकों की अवाज गुम हो गई

इससे पहले कल भी प्रियंका गाँधी से आशा कर्मियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मुलाक़ात की थी | इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए कि उत्तर प्रदेश की आशाकर्मी 9 महीनों के लिए एक गर्भवती महिला के स्वास्थ की जिम्मेदारी उठाती हैं जिसके लिए उन्हें मात्र 600 रु मिलते हैं। भाजपा सरकार ने कभी उनकी मानदेय में बढ़ोतरी की सुध नहीं ली। उन्हें जुमले नहीं, जवाब चाहिए। वहीँ उत्तर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ राज्य कर्मचारी का दर्जा माँग रही हैं। भाजपा सरकार ने उनकी पीड़ा सुनने के बजाय उनपर लाठियाँ चलवाई। मेरी बहनों का संघर्ष, मेरा संघर्ष है।