नई दिल्ली: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के अखाड़े में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को कड़ी टक्कर देने के लिए शनिवार को 56 पार्टियों ने मिलकर एक मजबूत महागठबंधन को अंतिम रूप दिया. महागठबंधन में शामिल दो बड़ी पार्टियां- कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर फैसला लेंगी. राज्य में लोकसभा की 48 सीटें हैं.जिन छोटी पार्टियों के चुनाव लड़ने की संभावना है, उनमें प्रमुख हैं : स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, बहुजन विकास अगाडी और युवा स्वामिभमानी पार्टी.सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 48 सीटों पर 25 : 23 के अनुपात में अपने-अपने उम्मीदवार खड़े करेगी.

शिवसेना ने शनिवार का कहा कि चुनाव में खड़े न होने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के 'सबसे बड़े' नेता रहेंगे. पार्टी ने गांधीनगर सीट से बीजेपी प्रमुख अमित शाह को उम्मीदवार बनाए जाने के दो दिन बाद यह टिप्पणी की. इस सीट का प्रतिनिधित्व आडवाणी करते रहे हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा कि आडवाणी की जगह शाह के चुनाव लड़ने को राजनीतिक रूप से ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय राजनीति के ‘भीष्माचार्य' को 'जबरन रिटायरमेंट' दे दिया गया हो. संपादकीय में कहा गया है, 'लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्माचार्य' माना जाता है लेकिन लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है जो हैरानी भरा नहीं है.'

शिवसेना ने कहा कि घटनाक्रम यह दर्शाता है कि बीजेपी का आडवाणी युग खत्म हो गया है. आडवाणी (91) गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री रहे हैं. वह गांधीनगर सीट से छह बार जीते. अब शाह इस सीट से पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं. संपादकीय में कहा गया,'आडवाणी गुजरात के गांधीनगर से छह बार निर्वाचित हुए हैं.' अब उस सीट से अमित शाह चुनाव लड़ेंगे. इसका सीधा सा मतलब है कि आडवाणी को रिटायरमेंट के लिए विवश किया गया है.' शिवसेना ने कहा कि आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर पार्टी का रथ आगे बढ़ाया. लेकिन आज मोदी और शाह ने उनका स्थान ले लिया है. पहले से ही ऐसा माहौल बनाया गया कि इस बार बुजुर्ग नेताओं को कोई जिम्मेदारी न मिले.