राज्य मुख्यालय लखनऊ।2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी की भाजपा ने राज्य के किसानों से वादा किया था कि हमारी सरकार आने पर गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिनों के अंदर हो जाना सुनिश्चित किया जाएगा और किसानों की आय दोगुना हो ऐसे प्रयास किए जाएँगे और भी लोकलुभावन वायदों की लंबी चौड़ी लिस्ट थी ख़ैर उनको अगर छोड भी दिया जाए और सिर्फ़ किसानों की ही बात की जाए तो किसानों की आय दोगुना तो दूर की कोड़ी हो गई किसानों को उनके गन्ने का भुगतान ही नही हो रहा आज राज्य के किसानों का गन्ना भुगतान 10,074.98 करोड़ रुपए में 4,547.97 करोड़ रुपए (45 फीसदी से ज्यादा) छह निर्वाचन क्षेत्रों की चीनी मिलों पर बकाया है जहाँ पहले चरण 11 अप्रैल में मतदान होना है इसमें मेरठ, बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और सहारनपुर की चीनी मिलें शामिल हैं।वैसे तो मोदी की भाजपा ने सत्ता पाने के लिए बहुत से वायदे किए थे उनमें से कुछ भी पूरे नही हुए है और न ही उनकी चर्चा हो रही है और न ही वो चर्चा करना चाहते है क्योंकि सरकार उन वायदों पर खरी नही उतरी इस लिए इधर-उधर की बात कर एक बार फिर मतदाताओं को ठगने की नीति पर चल रहे है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर से चुनावी प्रचार की शुरूआत की आतंकी मसूद अज़हर और इमरान में उलझाकर चले गए इस गंभीर विषय पर कुछ नही कहा क्या जनता यही चाहती है कि बेकार के मुद्दों पर हमें छला जाता रहे या वास्तव में सरकार से कुछ कराना चाहती है उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का भुगतान 10,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। खास बात यह है कि इस बक़ाया का 45 फीसदी से ज्यादा उन आठ में छह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के किसानों का है जहां 11 अप्रैल को पहले चरण के संसदीय चुनाव होने हैं।लखनऊ गन्ना कमिश्नर ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक 22 मार्च तक राज्य की चीनी मिलों ने चालू 2018-19 पेराई सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 24,888.65 करोड़ रुपए का गन्ना खरीदा है।राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सामान्य गन्ने के लिए 315 रुपए और परिपक्व किस्म के गन्नों के लिेए 325 रुपए प्रति क्विंटल के रेट तय किए गए। चीनों मिलों को गन्ना लेने के 14 दिनों के भीतर 22,175.21 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। मगर हकीकत में महज 12,339.04 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया गया। कुल बकाय में से भुगतान किए गए रुपए को भाग करे तो किसानों को भुगतान की जाने वाली रकम अब भी 9,836.17 करोड़ रुपए बैठती है।इसके अलावा पिछले सीजन 2017-18 के 238.81 करोड़ रुपए की बकाया राशि इसमें जोड़ लें तो यह राशि 10,074.98 करोड़ रुपए हो जाती है।10,074.98 करोड़ रुपए में 4,547.97 करोड़ रुपए (45 फीसदी से ज्यादा) छह निर्वाचन क्षेत्रों की चीनी मिलों पर बकाया है इसमें मेरठ, बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और सहारनपुर की चीनी मिलें शामिल हैं। इन सभी संसदीय सीटों और उत्तर पश्चिमी यूपी की दो सीटों गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर पर लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल को होने हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी आठों सीटों पर कब्जा किया था। 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इन क्षेत्रों से एक तरफा जीत हासिल की।पार्टी ने छह निर्वाचन क्षेत्रों के तहत आने वाली 30 विधानसभा सीटों में 24 पर विजय प्राप्त की। इसके अलावा गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर की 10 में से 9 सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया।हालांकि 2014 में भाजपा केंद्र और राज्य की सत्ता से बाहर थी।2017 में पार्टी की केंद्र में सरकार थी और यूपी में सपा का शासन था। मगर अब नई दिल्ली के साथ लखनऊ में भी मोदी की भाजपा सत्ता में है।इसलिए अब यह देखना होगा कि गन्ना किसानों के बकाय के चलते लोकसभा चुनाव में एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर का कितना असर होगा।जानना चाहिेए कि साल 2017 के प्रदेश चुनाव में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में क्या कहा था उनकी सरकार में गन्ना किसानों को 14 दिनों के भीतर भुगतान हो इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा।14 दिनों में किसानों को भुगतान करना 1953 के यूपी गन्ना (आपूर्ति और खरीद का विनियमन) अधिनियम में पहले से मौजूद एक प्रावधान है।वैसे देखा जाए तो नियम कानून सिर्फ़ जनता के लिए होते है सरकारों के लिए अगर नियम कानून होते तो क्या गन्ना किसानों का बक़ाया बाक़ी रह गया होता।