लखनऊ: राष्ट्रीय शिया व सूफी संघ के ज़ेरे एहतमाम 24 फरवरी को लखनऊ के घंटा घर पर मुनक्किद हो रहे प्रोग्राम " शिया व सूफी क़ौमी एकता अधिवेशन " की सिलसिले में आज इमामे जुमा मौलाना सय्यद कल्बे जावद नक़वी ने कहा कि इंशाल्लाह इस कान्फेरेन्स के इनेक़ाद से शिया व सूफी हज़रात को मज़ीद तक़वियत मिलेगी और वो लोग जो इस इत्तेहाद को ख़त्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं नाकाम हो कर रह जायेंगे। मौलाना ने कहा कि इस कान्फेरेन्स की अहमियत को कम करने के लिए ऐसे सूफी हज़रात के बयानात पेश किये जा रहे हैं जो अहलेबैत अ.स की दुश्मनी पर मबनी हैं। यह एक हक़ीक़त है कि कुछ नाम निहाद सूफी अहलेबैत के दुश्मन हैं लेकिन सूफियों की अकसरियत मोहिब्बे अहलेबैत है और अज़ादार हैं इस लिए हम ने सिर्फ इस अकसरियत के नज़र में रखते हुए शिया व सूफी इत्तेहाद के फ़रोग़ और तक़वियत के लिए यह कान्फेरेन्स मुनक्किद की है।
मौलाना ने कहा कि चूँकि अब दहशतगर्दी के अस्ल चेहरे बेनक़ाब हो चुके हैं और दुनिया जान चुकी है कि वहाबियत और तकफ़ीरियत दहशतगर्दी को फ़रोग़ दे रही है इस लिए इज़राइल व अमेरिका ने अब ऐसे खरीद लिया है जो ज़ाहिरन सूफी हैं और अहलेबैत के खिलाफ काम कर रहे है , उनकी तादाद बहुत काम है। उन्ही सूफियों में एक गिरोह वो है जो अज़ादारी का दुश्मन भी है,और उनके उलेमा को ख़रीदा जा रहा है।

मौलाना ने मोहम्मद बिन सलमान के दौरा ए हिंदुस्तान की निंदा करते हुए कहा कि बिन सलमान दहशतगर्दी को फ़रोग़ देने और फंडिंग करने वालों में शामिल है,ऐसे व्यक्ति का हिंदुस्तान में स्वागत नहीं होना चाहिए था। मौलाना ने कहा कि एक तरफ तो हिंदुस्तान में ये बयान दे रहा था कि दहशतगर्दी के खिलाफ मिल कर काम करना चाहिए दसूरी तरफ वो दहशतगर्दों की हिमायत में बयान दे कर आ रहा था। दुनिया जानती है कि इस वक़्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो दहशतगर्दी हो रही है ख़ास तौर पर यमन, फलस्तीन और शाम में उस में सऊदी अरब बराहे रास्त शामिल है इस लिए ऐसे व्यक्ति को हिंदुस्तान में बुला कर उस का स्वागत करना हमारे देश की संस्कृति के विरुद्ध है।