लखनऊ। प्रो0 कलीम अहमद आजिज़ की शैक्षिक, साहित्यिक और समाजिक सेवाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार ने उन्हें नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। वह एक अच्छे प्रोफेसर, अच्छे शायर और उससे भी अच्छे इन्सान थे। बिहार विश्वविद्यायल से शिक्षा हासिल करके वहीं कई दशकों तक शैक्षिक सेवा करने वाले प्रो0 कलीम अहमद आजिज़ ने अपनी शायरी के हवाले से पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोशन किया।

यह विचार वक्ताओं ने गुरूवार को यू0पी0 प्रेस क्लब में आयोजित ‘प्रो0 कलीम अहमद आजिज़ का व्यक्तित्व और सेवाओं’ पर हुए सेमिनार में व्यक्त किए। यू0पी उर्दू अकादमी के सहयोग और अल-नूर सोशल केयर फाण्उडेशन के तत्वावधान में हुए सेमिनार की अध्यक्षता शिक्षाविद् डा0 मसूद उल हसन उस्मानी ने की। इस अवसर पर डा0 उस्मानी ने कहा कि आधुनिक शैक्षिक संस्थानों के मुकाबले मदरसों में उर्दू जबान व अदब का बहुत अधिक विकास हुआ है। इस अवसर पर विशेष अतिथि मौलाना जहांगीर आलम कासमी ने कहा कि प्रो0 कलीम अहमद आजिज़ की शायरी उनके व्यक्तित्व का दपर्ण है। प्रो0 उमैर मंजर ने कलीम अहमद की शायरी का मीर तकी मीर, अल्लामा इकबाल और ग़ालिब आदि से मुकाबला किया। सेमिनार में प्रो0 डा0 मंजूर अहमद, मौलाना सैय्यद महमूद हसनी नदवी, मौलाना मुनव्वर सुल्तान नदवी आदि ने भी संबोधित किया। सेमिनार के संयोजक नजीबुर्रहमान मलमली नदवी ने स्वागत भाषण पेश किया। सेमिनार का संचालन मोहम्मद गुफरान नसीम ने किया। इससे पूर्व सेमिनार की शुरूआत हाफिज गुलाम जिलानी ने कुराने पाक की तिलावत से की। सुश्री जन्नत ने नात पाक पेश की। खालिद रहमानी और ने कलाम अहमद की गज़ले पेश की। आखिर में कमर आलम नदवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।