लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष सहित 14 छात्रों पर देशद्रोह का ख़तरनाक मुक़दमा दर्ज करने की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि यह कदम सरकारी आतंक की मिसाल है तथा छात्र जीवन को घ्वस्त कर देने वाली ऐसी अनावश्यक क्रूर कार्रवाइयों से सरकारों को दूर रहना चाहिये।

एक तरफ जहाँ बीजेपी सरकार द्वारा बोलने की आज़ादी को समाप्त करने के क्रम में देशद्रोह जैसे गंभीर व सख़्त कानून को मजाक बना दिया गया है, वहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की नई सरकार भी, पूरी तरह से पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के नक्शेकदम पर ही चलते हुये, गोहत्या के शक में कई मुसलमानों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) के तहत् बर्बर कार्रवाई कर रही है, जिसको भी सरकारी आतंक की मिसाल बताते हुये उसकी तीखी आलोचना व कड़ी निन्दा हर तरफ हो रही है। एम.पी. की कांग्रेस व यू.पी. की बीजेपी दोनों ही सरकारों की इस प्रकार की क्रूर कार्रवाई सरकारी आतंक की जीती-जागती मिसाल है।

इस प्रकार कांग्रेस पार्टी व बीजेपी दोनों ही पार्टियों की सरकारें जातिवादी होने के साथ-साथ साम्प्रदायिक द्वेष की भावना के तहत् साफ तौर पर काम करती हुयी लगती हैं, जो अति-निन्दनीय के साथ-साथ देशहित के विरुद्ध होने के कारण विरोध करने योग्य भी हंै और अब आमजनता को ख़ासतौर से यह सोचना होगा कि बीजेपी व कांग्रेस पार्टी की सरकारों की सोच व कार्यकलाप में क्या अन्तर रह गया है?

सुश्री मायावती जी ने कहा कि वैसे तो बीजेपी सरकारों की शह व संरक्षण में देशभर में दलित उत्पीड़न, जातिवादी द्वेष, पिछड़े वर्ग की घोर उपेक्षा, मुस्लिम समाज की प्रति घृणा व हिंसा के साथ-साथ अपरकास्ट समाज के ग़रीबों के हितों के साथ खिलवाड़ करते रहने आदि से पूरा देश त्रस्त व दुःखी तथा तनाव का जीवन व्यतीत कर रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी की नई सरकारें भी वहीं काम कर रही हैं जो बीजेपी सरकारें जानबूझकर दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों के खिलाफ द्वेष में किया करती थी। ऐसा क्यों?