लखनऊः ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय, लखनऊ‎ को आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा-12बी का दर्जा प्राप्त हो गया है। इस समाचार से समस्त शिक्षकों, छात्र-छात्राओं एवं कर्मचारियों में खुशी का माहौल है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 माहरूख़ मिर्ज़ा इस कामयाबी को विश्वविद्यालय की एक अहम कामयाबी के तौर पर देख रहे हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2009 में हुयी और विश्वविद्यालय का प्रथम शैक्षणिक सत्र 2013 में प्रारम्भ हुआ। 12बी की कमी विश्वविद्यालय की प्रगति में अवरोध बन रहा था। कुलपति की कोशिशों से यह कामयाबी भी विश्वविद्यालय को हासिल हो गयी है। माह अगस्त, 2018 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 12बी का निरीक्षण किया गया था। 12बी का दर्जा प्राप्त होने के पश्चात विश्वविद्यालय यू0जी0सी0 से प्राप्त होने वाले अनुदान तथा अन्य शासकीय संस्थानों से मिलने वाले आर्थिक सहायता के लिय अर्ह हो गयी है और अब विश्वविद्यालयीय शोध परियोजनाओं और शैक्षणिक क्रिया कलापों में तेजी लायी जा सकती है। प्रो0 माहरूख़ मिर्ज़ा ने इस कामयाबी को विश्वविद्यालय की तारीख में मील का पत्थर करार देते हुये कहा कि अब विश्वविद्यालय को पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के ढ़ाचे को विकसित करने में मदद मिलेगी और इसका लाभ शिक्षक, छात्र-छात्रओं और शिक्षणेŸार कर्मचारियों को मिलेगा। शीघ्र ही हमारे विश्वविद्यालय को शोध परियोजनाओ के लिये वित्तीय सहायता भी प्राप्त होने लगेगी। प्रो0 मिर्जा ने कहा कि विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुताबिक बनाया जाए। इसी विश्वास के साथ हम बराबर प्रयासरत हैं। हमारा विश्वविद्यालय राज्य का पहला विश्वविद्यालय है जिसने स्नातक में सेमेस्टर प्रणाली को लागू किया है तथा सी0बी0सी0एस0 प्रणाली को लागू करने में अग्रसर रहा है।