नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को मूर्तियों के निर्माण पर खर्च होने वाले सरकारी पैसों को वापस करने का निर्देश जारी किया है। बता दें कि एक याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ये फैसला सुनाया है। याचिका में कहा गया था कि मूर्तियों के निर्माण पर सरकारी पैसे खर्च करने की प्रक्रिया को खत्म कर दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अब इस मामले की सुनवाई 2 अप्रैल को करेंगे।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले बसपा प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट से ये बड़ा झटका लगा है। बता दें कि ये याचिका 2009 में रविकांत और कुछ अन्य लोगों के द्वारा दायर की गई थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियों के निर्माण में जितने पैसे खर्च किए हैं उसे सरकारी खजाने में वापस जमा कर देना चाहिए। सीजेआई ने कोर्ट में मौजूद मायावती के वकील को निर्देश दिया कि वे अपने क्लाइंट से निर्देश का पालन करने को कहें।

आपको बता दें कि मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर अपने शासनकाल के दौरान (2007-2012) पूरे राज्य में बड़ी संख्या में विशाल मुर्तियों का निर्माण करवाया था। इसमें उन्होंने अपनी पार्टी चिन्ह हाथी की कई बड़ी-बड़ी विशाल मूर्तियां बनवाई थी इसके अलावा उन्होंने खुद की भी और बसपा पार्टी के संस्थापक कांशीराम की कई मूर्तियां लखनऊ और नोएडा समेत के कई पार्कों में लगवाई थी। मायावती के इस कदम पर विपक्षी पार्टियों ने उन पर खूब निशाना साधा था कि वे सरकारी पैसों का खर्त इन फिजूल कामों के लिए कर रही हैं और आज तक इस बात के लिए मायावती को निशाने पर लिया जाता रहा है।

सपा सरकार अखिलेश यादव के शासनकाल में लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा एक आंकड़ा पेश किया गया था। उस आंकड़ों के मुताबिक मायावती के शासनकाल में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में बनाए गए इन मूर्तियों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक हाथी की कुल 30 पत्थर की मूर्तियां जबकि कांसे की 22 मूर्तियां लगवाई थी। इसके लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए थे।