श्रेणियाँ: विविध

डॉ मनीष बैंकर ने कैंसर रोगियों के लिए प्रजनन संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला

लंबे समय से कैंसर एक वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में हमारे सामने है। अनुमान है कि भारत में 2.25 मिलियन लोग इस बीमारी के साथ अपना जीवन जी रहे हैं (रिपोर्ट-एनसीआरआई)। भारत में 40 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं की एक बड़ी संख्या अलग-अलग किस्म के कैंसर से पीडित है और इस बीमारी के कारण उनकी प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल असर पडता है। वास्तव में अब ऐसे युवा लोगों की संख्या बढती जा रही है, जो गुणवत्तापूर्ण जीवन से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हैं, और कैंसर के उपचार के बाद बच्चे को जन्म देना भी इन मुद्दों में शामिल है। ऐसी सूरत में ओन्को-फर्टिलिटी या फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन का सहारा लिया जाता है, ताकि लोगों की प्रजनन क्षमता या गर्भ धारण करने की क्षमता को बनाए रखने में मदद मिल सके। डॉ मनीष बैंकर, मेडिकल डायरेक्टर, नोवा आईवीआई फर्टिलिटी के अनुसार, 4 फरवरी को मनाए जा रहे विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर नोवा आईवीआई फर्टिलिटी के मेडिकल डायरेक्टर डॉ मनीष बैंकर ने कैंसर रोगियों के लिए प्रजनन संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “बढती जागरूकता, जल्दी पता लगना और समय पर और प्रभावी उपचार हासिल करने से भारत में और विश्व स्तर पर कैंसर के जीवित रहने के मामलों की संख्या पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है। इस तरह कैंसर के इलाज के उपरांत बिताए जाने वाले जीवन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। कैंसर से बचे लोगों में जीवन की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त ध्यान और पुनर्वास जरूरी है।

कैंसर के उपचार के बाद जीवन से जुडी एक सामान्य समस्या जो सामने आती है, वह है परिवार शुरू करने की क्षमता। रोगी कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी में कुछ दवाओं और विकिरणों के संपर्क में आते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से मार सकते हैं और इसे फिर से सिर उठाने से रोक सकते हैं, लेकिन साथ ही युग्मक यानी अंडे और शुक्राणुओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे बाद में गर्भ धारण करने में कठिनाई होती है। कैंसर रोगियों के पास कैंसर के उपचार से पहले अपने अंडों, शुक्राणुओं या भ्रूणों को फ्रीज करने का विकल्प होता है, ताकि यदि दुर्भाग्यवश इनफर्टिलिटी का सामना करना पडे, तब भी वे ठीक होने के बाद प्रजनन उपचार के माध्यम से गर्भधारण कर सकते हैं। हमें सहायक प्रजनन तकनीकों, और क्रायोप्रेजर्वेशन मॉड्यूल में अधिक जागरूकता और प्रगति का आभारी होना चाहिए, जिनकी वजह से प्रजनन क्षमता का संरक्षण करना अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक हकीकत है और विभिन्न मामलों में यह सहायक हो सकता है। विशेष रूप से कैंसर से बचे लोगों के लिए प्रजनन संरक्षण, मातृत्व की सफल शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।

Share

हाल की खबर

बाराबंकी में ऑक्सीजन फैक्ट्री में ब्लास्ट 1 कर्मचारी की मौत

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी । ऑक्सीजन प्लांट में ब्लास्ट हो गया। जिसमें की एक…

मई 13, 2024

राष्ट्रीय आय में मिले लोगों को हिस्सा- अखिलेन्द्र

भाजपा ने भारत गणराज्य की आर्थिक सम्प्रभुता को पहुंचाई क्षति, हारना जरूरीसमाज के मैत्रीभाव को…

मई 13, 2024

संविधान बदलने की बात करने वालों को बदलने जा रही है जनता: अखिलेश

बाराबंकी मे गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया के समर्थन में जनसभा का आयोजन। ब्यूरो चीफ फहीम…

मई 12, 2024

बहराइच में जेठ मेले का आगाज़ 30 मई से

02 जून को आएँगी ग़ाज़ी मियां की प्रतीकात्मक बारातें भारत नेपाल के सीमावर्ती जनपद उत्तरप्रदेश…

मई 12, 2024

UPSIFS लखनऊ के छात्रों ने IIT दिल्ली के बेलेस्टिक एन्ड आर्मर टेस्टिंग लैब में फोरेन्सिक की बारीकियों को सीखा

छात्रों को सीखने के अवसर और अन्वेषण कार्यो की जानकारी भी हासिल हो रही है…

मई 11, 2024

आज की राजनीति के संत हैं राहुल, इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस

2024 के आम चुनाव पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई है . इसके पीछे…

मई 11, 2024