लखनऊ: कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि मोदी जी का बजट भारत की जनता के साथ विशेष रूप से बेरोजगार नौजवानों, किसानों और महिलाओं के साथ विश्वासघात का दस्तावेज है । जैसे- जैसे इसकी परतें खुल रही हैं, वैसे- वैसे इसका धोखा और जुमला जन- जन का आक्रोश बनता जा रहा है । मोदी सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष पी.सी. मोहनन कहते हैं कि पिछले 45 साल में बेरोजगारी अपने चरम पर है, देश में बेरोजगारी के सारे रिकार्ड टूट गये हैं, और इसकी वजह नोटबन्दी और GST है- जबकि वर्ष 2014 में प्रत्येक वर्ष 2 करोड के हिसाब से 5 सालों में 10 करोड़ रोजगार देने का वायदा किया गया था । लोगों के सामने अब इसकी सच्चाई आ गयी है – कि रोजगार का वायदा तो पूरा नहीं किया गया बल्कि 1 करोड़ 30 लाख रोजगार पहले से भी कम कर दिये गये ।

श्री तिवारी ने कहा है कि मोदी सरकार ने किसानों को 6000 रुपये प्रतिवर्ष देने के नाम पर एक और धोखा दिया है । 6000 रुपये सालाना, यानी 500 रुपये महीना, अर्थात 17 रुपये रोजाना, यदि परिवार में 5- 6 व्यक्ति हैं तो प्रतिदिन, प्रति व्यक्ति तीन रुपये से भी कम । आज शिक्षा – दीक्षा तो दूर की बात है तीन रुपये से कम में क्या दो वक्त की रोटी भी मिल सकती है ? यही नहीं खाद, बीज और बिजली के दाम कई गुना अधिक बढ़ा दिये गये हैं । खुद सरकार ने बजट में स्वीकार किया है कि किसानांे को उनकी उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है । और यही नहीं यूरिया खाद की बोरी 50 किलो की जगह 45 किलो की कर दी गयी है, अर्थात प्रत्येक बोरी से 5 किलो खाद की चोरी की गयी है, यही मोदी जी के बजट की असलियत है।

दूसरी तरफ राहुल गांॅधी जी का कांगे्रस की सरकार बनने पर प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान पूर्वक जीवन यापन करने के लिये ‘‘गारण्टी सहित’’ पर्याप्त धन देने का वायदा है।

प्रमोद तिवारी ने कहा है कि अब तो 5 की जगह 6 बजट पेश कर दिये, कहांॅ गया कर्जमाफी का वायदा ? यानी देश की जनता के साथ एक और धोखा । पूरे बजट में छुट््टा जानवरों से किसानों की नष्ट होती फसल के लिये मुआवजे का नामो निशान तक नहीं है । पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेण्डर पर सब्सिडी का कोई ऐलान नहीं किया गया है – कैसे चलायेंगी महिलायें घर का खर्च ?

लेखानुदान के नाम पर लेखानुदान की जगह संवैधानिक परम्पराओं को तोड़कर ‘‘छठा बजट’’ प्रस्तुत कर दिया, फिर भी 2014 मे किया गया कोई वायदा नहीं निभाया गया है।

श्री तिवारी ने कहा है कि मोदी सरकार ने 5 साल तो कुछ नहीं किया, जाते- जाते अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर आयकर की सीमा 2.50 लाख से बढ़ाकर 5.00 लाख कर दिया । अब वेतन भोगी कर्मचारियों की समझ में यह सच्चाई आ गयी है कि जब मोदी सरकार का कार्यकाल ही मई, 2019 तक है और 2020 में आयकर चुकाने के लिये 5 लाख की छूट तो तभी मिलेगी जब नई गठित सरकार 2019 – 2020 का बजट पेष करेगी, और उसमें इसको पारित करायेगी, अन्यथा ये मात्र जुमलेबाजी ही बनकर रह जायेगा ।

कांगे्रस का वायदा है कि हमारी सरकार बनने पर हम इसके रु.5.00 लाख (पांॅच लाख) की सीमा को और अधिक बढ़ायेंगे तथा वेतनभोगी और टैक्स चुकाने वालों को बड़ी राहत देंगे ।