नई दिल्ली: पिछले 5 दिनों से लोकपाल व लोकायुक्तों की मांग को लेकर अनशन पर बैठे गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि 8-9 फरवरी तक मांगे नहीं माने जाने पर वो पद्म भूषण सम्मान लौटा देंगे। अन्ना अपने गांव रालेगण-सिद्धि में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन अन्ना अनशन पर बैठे थे।

अन्ना ने कहा, '8 या 9 तारीख को मैं मेरे पद्मभूषण पुरस्कार को राष्ट्रपति को वापस करूंगा। समाज और देश सेवा करते हुए यह पुरस्कार आप ने मुझे दिया, लेकिन समाज और देश कि यह हालत होगी, तो मैं किस लिए यह पुरस्कार रखूं। ऐसा मेरा मन मुझे कहता है। मैं किसी के पास मांगने तो नहीं गया था।'

अन्ना के तीन मुख्य बिंदु हैं, जिसमें केंद्र में लोकपाल, प्रत्येक राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति और किसानों का मुद्दा है। 1992 में अपने गांव को दूसरों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया गया था।

रविवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से अन्ना हजारे की भूख हड़ताल में हस्तक्षेप करने की अपील की और उससे कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता की जिंदगी से ना खेले। ठाकरे ने एक बयान में 81 साल के सामाजिक कार्यकर्ता के स्वास्थ्य पर चिंता जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के उस कथित पत्र को निंदनीय और हास्यास्पद बताया जिसमें हजारे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई है।

शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि हजारे की लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है जिसका देश सामना कर रहा है। उन्होंने हजारे से अनशन कर अपनी जान दांव पर लगाने के बजाय लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी लड़ाई को सड़कों पर ले जाने के लिए कहा।