प्रयागराज: अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिगृहित 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए केंद्र अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. योगी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के विषय में प्रयागराज में कहा, 'हमें गैर विवादित भूमि पर तत्काल कार्य करने की अनुमति मिलनी ही चाहिए.'

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रयागराज में ही संवाददाताओं से कहा, 'सरकार का यह मानना है कि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द हो. इसलिए सरकार हर पहलू पर, जो संविधान के तहत हो सकता है, उसका प्रयास कर रही है.'

उल्लेखनीय है कि एक नई याचिका में केंद्र ने कहा कि उसने 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था. याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास ने 1991 में अधिगृहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की मांग की थी.

सिद्धार्थनाथ सिंह से सवाल किया गया कि राम मंदिर निर्माण भाजपा के एजेंडे में शामिल था, लेकिन पांच साल बीते जा रहे हैं, अब सरकार को चुनाव में जाना है तो क्या सरकार विपक्षी गठबंधन और जनता के दबाव में है. उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा, 'ये कोई दबाव नहीं होता. ये आस्था है और ये कानूनी प्रक्रिया है. अब जाके सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू हो रही है, तो उसके आधार पर ही सरकार अपना काम कर रही है.'

मंत्री का ध्यान इस ओर दिलाया गया कि धर्म संसद के बाद, जैसा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने ऐलान किया है कि वह अयोध्या कूच करेंगे. उनके साथ साथ अखाड़ा परिषद पहले से ही कह चुका है कि वह कुंभ मेले के बाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साथ जाएगा. इसके साथ ही उनसे पूछा गया कि इसके बाद क्या स्थिति रहेगी, सरकार कोई पहल कर सकती है क्या, क्या लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण शुरू हो सकता है. उन्होंने कहा, 'देखिये, मैं इतना ही कहूंगा कि सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण हो. ये जितना जनता से जुड़ा हुआ मसला है, जनता की जो आस्था है, वही सरकार की भी आस्था है.'