सफर से जुडी एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘‘किसी जगह के बारे में हजारों बार सुनने से बेहतर है कि एक बार उसे देख लिया जाए।‘‘ हमने इस धरती पर मौजूद अनेक पर्यटन स्थलों के बारे में कई बार सुना है और इनमें से कई स्थलों को तस्वीरों में देखा भी है। लेकिन उन पर्यटन स्थलों की सैर करने का शायद ही कभी मौका मिला हो। हालांकि, मध्यम वर्ग की बढ़ती आय, कम लागत वाली यात्रा और खर्च के प्रति बदलते दृष्टिकोण के साथ, इन आकर्षक पर्यटन स्थलों का दौरा करने का सपना धीरे-धीरे हकीकत में बदल रहा है। संजय दत्ता – चीफ ऑफ अंडरराइटिंग, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड , के अनुसार, आंकड़े भी यही बात कहते हैं। पैसिफिक एशिया ट्रैवल एसोसिएशन (पीएटीए) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में 18 मिलियन मुसाफिर ऐसे थे, जिन्होंने दूसरे देशों की यात्रा की थी। लेकिन भारतीय मुसाफिरों की विदेश यात्राएं 15-18 प्रतिशत सालाना की दर से बढ रही हैं, फिर भी यह आंकडा यूएन वल्र्ड टूरिज्म आॅर्गेनाइजेशन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के उस अनुमान से काफी कम है, जिसमें 2020 तक ऐसे मुसाफिरांे की संख्या 50 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद लगाई गई थी। पिछले साल क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के दौरान ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी मेकमाईट्रिप द्वारा किए गए एक विंटर सर्वे से पता चला कि भारतीयों के बीच अंतरराष्ट्रीय यात्रा घरेलू यात्रा की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं, यह तथ्य भी सामने आया था कि ऑनलाइन बुकिंग की सुविधाआंे के कारण पर्यटकों की संख्या में तेजी से बढोतरी हुई, क्योंकि स्मार्टफोन के उपयोग और इंटरनेट तक पहुंच होने के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग अब आॅनलाइन बुकिंग का सहारा लेने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में वृद्धि के साथ यात्रा बीमा की अहमियत भी बढने लगी है, हालांकि भारत में अभी भी यह अपने शुरुआती दौर में है। आॅनलाइन बुकिंग की सुविधाओं का अधिक से अधिक इस्तेमाल, स्मार्टफोन का बढता उपयोग और कामकाजी लोगांे का डिजिटल पहल की तरफ झुकाव- ये ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से बीमाकर्ता कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स बेचने के लिए नए और अनूठे रास्ते अपनाने होंगे। अगस्त-2017 में आई ‘इवोल्विंग कंसीडरेशंस फाॅर द इंडियन इंश्योरेंस इंडस्ट्री‘ शीर्षक वाली सीआईआई-पीडब्ल्यूसी रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वे में शामिल 68 प्रतिशत लोग बीमा सेवा प्रदाता कंपनी का मोबाइल ऐप डाउनलोड और उपयोग करना चाहते हैं। स्मार्टफोन ऐप के जरिए बीमाकर्ता कंपनी के सामने अपने ग्राहकों से संपर्क करने के अनेक नए रास्ते उपलब्ध होते हैं और इस तरह बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों की अधिक बेहतर तरीके से सेवा कर सकती हैं। मौजूदा दौर में यात्रा बीमा पाॅलिसी से जुडा हर काम मोबाइल ऐप के जरिए संभव हो जाता है- नए प्लान के लिए पाॅलिसी जारी करने से लेकर दावा भुगतान से संबंधित प्रक्रिया तक – सारा काम स्मार्टफोन के जरिए संभव है। इस तरह के नवाचारों के पीछे यह भावना काम कर रही है कि बीमा उत्पादों के साथ ग्राहकों के अनुभव को बेेहतर बनाया जाए और इसमें और सुधार किया जाए। बीमाकर्ता आज पॉलिसी बुकिंग के साथ-साथ दावा निपटारे के लिए एक निर्बाध ग्राहक अनुभव प्रदान करने का प्रयास करते हैं। जो पहले बोझिल और गहन कागजों से जुडी प्रक्रिया होती थी, वह अब डिजिटलीकरण, इंटरनेट आॅफ थिंग्स और बिग डेटा के कारण पूरी तरह पेपरलेस और परेशानी रहित है। दावों के मामले में बीमाकर्ता ग्राहकों के लिए सक्रिय रूप से संदेश इत्यादि भेज रहे हैं, ताकि ग्राहकों की खुद दावे दर्ज करने की परेशानी को कम किया जा सके। यात्रा विलंब जैसे कुछ कवर इसी अवधारणा पर काम कर रहे हैं। यात्रा बीमा कवरेज को और उपयोगी बनाने के लिए कई और ऐसे रास्ते हैं, जिनमें टैक्नोलाॅजी का उपयोग किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ ऐसे सिस्टम पर काम किया जा रहा है, जिनमें बीमाकर्ता स्वतः ही होटल बुकिंग भी सुझा सकता है, या पाॅलिसी एक्सटेंशन संबंधी सुझाव दे सकता है, खास तौर पर तब जबकि कोई समस्या सामने आए या फिर ऐसा कोई अंदेशा हो। बढ़ी हुई कवरेज और बेहतर समग्र अनुभव के अलावा, यात्रा बीमा कवरेज की पेशकश करने वाली कंपनियां भी भारतीय यात्रियों के बदलते रुझानों का ख्याल रखना चाहती हैं। पहले उल्लेख किए गए मेकमाईट्रिप सर्वेक्षण के अनुसार विदेश जाने वाले अधिकांश भारतीय यात्री 35 वर्ष से कम उम्र के युवा हैं। ये लोग सिर्फ जाने-पहचाने पर्यटक स्थलों की या़त्रा नहीं करना चाहते, बल्कि और भी बहुत कुछ नया और अनूठा प्रयास करना चाहते हैं। उनके लिए एक मनोरंजक सैर-सपाटा उनकी प्राथमिकता में सबसे आगे है और यही कारण है कि आजकल एडवेंचर टूरिज्म का रुझान बढने लगा है। बीमाकर्ताओं ने इस प्रवृत्ति को समझा और महसूस किया है और अब वे उन साहसिक गतिविधियों के लिए कवरेज प्रदान करते हैं जिन्हें पहले बाहर रखा गया था। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जैसी कंपनियां एडवेंचर ट्रेवल सेगमेंट में अग्रणी भी हैं। ये कंपनियां ऐसे विशिष्ट समूहों के लिए कवरेज मुहैया कराती हैं, जो साहसिक गतिविधियां करते हैं – जैसे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों को बीमा कवर प्रदान करना। जी हां, यह सही है, वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढने वाले पर्वतारोहियों को भी कवर करते हैं! कवरेज का दायरा उन परिस्थितियों में भी फैला हुआ है जो इन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं, जैसे माउंटेन सिकनैस और कुछ भी दुर्भाग्यपूर्ण घटने पर चिकित्सा बचाव इत्यादि। यात्रा बीमा उद्योग बहुत से उतार-चढाव से गुजर रहा है और भविष्य में इससे भी ज्यादा बदलाव होने की उम्मीद है। बीमाकर्ता लगातार अपने ग्राहकों को प्रसन्न करने के लिए कवरेज के दायरे को नवाचार और विस्तारित करते रहेंगे। आम आदमी के लिए इसका मतलब है- सुविधा, किफायती होना और अपने पैसे का पूरा मूल्य प्राप्त होना, जो कि पहले कभी ऐसा नहीं था।