नई दिल्ली: प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई है और इसको लेकर कांग्रेसी खेमे में जबर्दस्त खुशी का माहौल है और कांग्रेस को लग रहा है कि इससे कांग्रेस के प्रदर्शन में काफी सुधार आएगा। वहीं शिवसेना भी इसको लेकर खुश नजर आ रही है और उसने प्रियंका के पक्ष में बात की है। संपादकीय 'सामना' में शिवसेना ने प्रियंका और राहुल को लेकर तारीफ की है।

इसमें साथ ही ये भी कहा गया है कि अब रॉबर्ट वाड्रा के मामले सामने आएंगे और जो लोग एक परिवार की कांग्रेस पार्टी कहते हैं, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि इस देश के लोगों ने उन्हें स्वीकृति दी है।

शिवसेना ने प्रियंका गांधी को राजनीति में एंट्री का नया टाइटल "हुकुम की रानी " दिया है। राजनीति में प्रियंका की एंट्री से पता चलता है कि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। अफवाहें फैलाई जा रही थीं कि राहुल विफल हो रहे थे इसलिए प्रियंका को राजनीति में प्रवेश करना आवश्यक था जो पूरी तरह से निराधार है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल के मुद्दे पर सरकार की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। उन्होंने न केवल तीन राज्यों में चुनाव जीतकर कांग्रेस को नया जीवन दिया है, बल्कि वह इस जीत के लिए श्रेय के हकदार भी हैं।

बसपा सपा गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिली, लेकिन राहुल गांधी ने बहुत विनम्रता से कहा "कोई बात नहीं", उन्होंने कहा कि हम हर सीट पर चुनाव लड़ेंगे और जहां भी जरूरत होगी हम सपा-बसपा का समर्थन करेंगे।

यह पहले ऐसा करने की रणनीति है और दूसरा प्रियंका को राजनीति में प्रवेश कराने के लिए। रॉबर्ट वाड्रा के कारण प्रियंका पर दबाव था लेकिन वह सारे दबाब को दरकिनार कर के राजनीति में आ गईं। पीएम मोदी ने यह कहकर भी प्रतिक्रिया दी है कि पार्टी परिवार बन जाती है। लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि कुछ दलों में 'गिरोह' पार्टी चला रहे हैं वहीं कुछ राजनीतिक दलों के परिवार हैं उनके परिवार को पार्टी में जगह मिलती है।