लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी ने प्रयागराज के अर्धकुम्भ में पहली बार कैबिनेट बैठक करने का निर्णय लेकर एक बार पुनः राजकीय काम काज में आडम्बर दिखाने का प्रयास किया है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने आज जारी बयान में कहा कि प्रयागराज में होने वाले अर्ध कुम्भ जैसे महान धार्मिक आयोजन में विशेष तौर से तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं की जाती हैं जिससे किसी प्रकार भगदड़ और अव्यवस्था से बचा जा सके और इस आयोजन में आने वाले समस्त तीर्थयात्री और श्रद्धालु सुविधापूर्वक रहते हुए पवित्र संगम में स्नान, दान, पुण्य करके अपने गंतव्य को सुरक्षित पहुंच सकें। इसी के तहत आज तक जितनी भी प्रदेश में सरकारें रहीं उन्होने व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं। इस आयोजन में यह स्पष्ट निर्देश होता है कि कोई भी वीआईपी कुम्भ अथवा अर्ध कुम्भ में नहीं जायेगा जिससे तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को असुविधा न हो और किसी भी प्रकार की भगदड़ या अव्यवस्था से बचा जा सके। प्रशासन का पूरा ध्यान सफाई, चिकित्सा, यातायात एवं अन्य व्यवस्थाओं पर केन्द्रित रहता है ताकि कोई अप्रिय घटना न होने पाये। विगत वर्ष 2001 में जब स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे इसी कारण वह कुम्भ में स्नान करने नहीं गये जिससे कोई अव्यवस्था न उत्पन्न होने पाये। परन्तु इस बार शासन ने इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया और केन्द्र सरकार के कई मंत्री स्नान करने पहुंचे, जिस पर यह कहा गया कि वह वीआईपी नहीं बल्कि साधारण तीर्थ यात्री बनकर गये थे।

श्री सिंह ने कहा कि अर्ध कुम्भ में कैबिनेट की मीटिंग करने से एक साथ इतने वीआईपी जब वहां पहुंचेंगे तो प्रशासन का ध्यान नित्य होने वाली व्यवस्थाओं से हटकर मुख्यमंत्री और उनके पूरे मंत्रिमण्डल पर होगा जिससे अन्य व्यवस्थाएं चरमरा सकती हैं। इसके साथ ही प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों का सिर्फ दुरूपयोग और बर्बादी है। मुख्यमंत्री जी को इस प्रकार के आडम्बरों से बचना चाहिए और प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि कुम्भ में कैबिनेट की बैठक करने का कोई औचित्य नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए, साधु, सन्तों और आम जनता को भ्रमित करने वाला मात्र एक शिगूफा है।