नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि वह सेना में गे-सेक्स की इजाजत नहीं देंगे क्योंकि सेना रूढ़िवादी सोच को स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि समलैंगिक संबंधों पर सेना के अपने कानून हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे दी है और इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। सेना प्रमुख के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने गत 6 सितंबर के अपने ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिकता को अपराध बताने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को आंशिक रूप से रद्द कर दिया। संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अन्य लोगों की तरह एलजीबीटी समुदाय भी समाज का अंग है और उसे भी अन्य की तरह अधिकार प्राप्त हैं।

शीर्ष अदालत के इस फैसले के बावजूद सेना प्रमुख ने कहा है कि एडल्टरी भारतीय सेना में अपराध है। उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना बहुत रूढ़िवादी है' और 'सीमा पर तैनात जवान अपने घर पर मौजूद परिवार की चिंता नहीं कर सकता है।' उन्होंने कहा कि 'ठीक ऐसी ही सोच लेस्बियन, गे, बॉयोसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर मुद्दे पर है। सेना में हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।'

जनरल ने कहा, 'सेना अपने यहां एलजीबीटी गतिविधियों की इजाजत नहीं देगी। इस तरह की गतिविधियों से निपटने के लिए सेना में प्रावधान हैं।' रावत ने आगे कहा कि 'आप लोगों में यह चलता होगा…हम देखेंगे।' सेना प्रमुख ने यह बात अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही। उनसे गे सेक्स और एडल्टरी पर सेना के रुख के बारे में पूछा गया था।