नई दिल्ली।मुसलमानों की एक संस्था इस्लामिक कल्चर सेंटर के पंच वर्षीय चुनाव काफ़ी दिलचस्प होने के बाद चुनावी परिणामों की घोषणा कर दी गई।जिसमें लगातार चौथी बार जीतने का रिकार्ड बनाने वाले सिराजुद्दीन कुरैशी ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री व भाजपा नेता आरिफ़ मौहम्मद खान को बुरी तरह मात दी सिराजुद्दीन कुरैशी को कुल वोट 3500 में से 2041 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया जिसमें से कुरैशी को 1339 वोट मिले जबकि आरिफ़ मौहम्मद खान को 702 वोट ही मिले वोटों की गिनती के किसी भी राउंड में आरिफ़ मौहम्मद खान सिराजुद्दीन कुरैशी के आसपास भी नही रह पाए पहले ही राउंड से सिराजुद्दीन कुरैशी बढ़त बनाए रहे।पहले की तरह इस बार भी यह चुनाव गाँव की प्रधानी की तरह लड़ा गया वैसे इस संस्था में जो मतदाता है वो ऐसे मुसलमान है जो अपने आप में सतून कहलाते है यह संस्था उनका प्रतिनिधित्व करती है इस संस्था का काम मुसलमानों की बेहतरी के लिए और उनके भविष्य के लिए काम करना है जो मुसलमान मुसलमानों के लिए गंभीर रहते है वह इसके वोटर है कुल वोटों की संख्या 3500 सौ बताई जाती है जिनमें से 2041 ने अपने वोट का इस्तेमाल कर चौथी बार सिराजुद्दीन कुरैशी को अपना अध्यक्ष चुना इससे पहले सिराजुद्दीन कुरैशी ने पूर्व विदेश व कानून मंत्री एवं कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद को इसी तरह हराकर जीत का सेहरा अपने सिर बाँधा था जैसे अब आरिफ़ मौहम्मद खान को हराकर बाँधा है सिराजुद्दीन कुरैशी के बारे में कहा जाता है कि वह जबसे इस संस्था के अध्यक्ष बने तबसे इस संस्था ने बहुत काम किया है जैसे हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी के जमीअत का अध्यक्ष बनने के बाद जमीअत ने नई इबारत लिखी उसी तरह सिराजुद्दीन कुरैशी ने भी इस्लामिक सेंटर की बेहतरी व मुसलमानों के लिए बहुत काम किया और वह लगातार मुसलमानों के लिए काम करते आ रहे है यह संस्था आईएएस-आईपीएस की कोचिंग से लेकर मुसलमानों के छात्र-छात्राओं को वज़ीफ़े भी देती है सिराजुद्दीन कुरैशी वो शख़्स है जो कॉम के लिए हरदम खड़े रहते है इससे इंकार नही किया जा सकता उनकी सोच काअंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि देश की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था का लगातार चौथी बार अध्यक्ष चुना जाना कोई कम बात नही है,जिसकी मतदाता सूची में भी देश की नामचीन हस्तियाँ शामिल हो उनके बीच रहकर काम करना कोई कम बात नही है।आरिफ़ मौहम्मद खान सलमान ख़ुर्शीद जैसे लोग मिल्लत के लिए फ़ायदेमंद नही रहे न ही रह सकते है इसलिए उनको मिल्लत की सोच रखने वालों ने इस संस्था की ज़िम्मेदारी देने से गुरेज़ किया।एक बार फिर सिराजुद्दीन कुरैशी के कंधों पर मिल्लत की बेहतरी के लिए मिल्लत की सोच रखने वालों ने ज़िम्मेदारी डाली है क्या वह एक बार फिर उस ज़िम्मेदारी को बख़ूबी अंजाम दे पाएँगे मुसलमानों को उनसे बहुत उम्मीदें है और यक़ीन भी कि वह अपनी ज़िम्मेदारी को सही तरीक़े से अंजाम देंगे।सिराजुद्दीन कुरैशी के अध्यक्ष क्षेम जाने के बाद उनके समर्थकों में ख़ुशी लहर है तथा उनकी जीत के बाद उनको बधाई देने वालों का ताँता लगा है।