लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।झूठ बोलकर जो करता है मुतमईन सबको वह झूट बोलकर खुद मुतमईन नही होता शायद ये पक्तियाँ वर्तमान सियासी हालात पर सटीक बैठती है 2014 में जिस तरह से झूट पर आधारित खेल खेला गया अब वही उसी खेल में फँसते जा रहे है उस चुनावी फ़िज़ाओं में जो नारे गुंज रहे थे कि यूपीए 2 सरकार पाकिस्तान से लव लेटर लिखती है चीन से ऑंख में ऑंख डाल कर बात नही करती बेरोज़गारी अपने चरम सीमा पर है भ्रष्टाचार की कोई सीमा नही है किसान परेशान और हताश है हम सरकार में आएँगे तो पाकिस्तान से लव लेटर नही सीधी बात होगी मतलब बोली और गोली एक साथ नही होगी लेकिन हुआ उसके उलटा पहले अपने शपथ समारोह में वहाँ के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को बुलाया फिर अपने आप बिना बुलाए पहुँच गए पाकिस्तान एक सिर के बदले दस सिर लाने की बात करने वाले ने हमारे देश में आतंक फैलाने का मनसूबा रखने वाले के साथ दस्तरख़ान साझा किया।चीन ने डोकलाम में क्या किया यह भी सब जानते है लेकिन किसी को वो ऑंख नज़र नही आयी।किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात भी खोखली साबित हुई किसान अपनी बदक़िस्मती पर आँसू बाह रहा है लेकिन उसकी दर्दनाक हालात पर 56 इंच का सीना ख़ामोश है हर वर्ष दो करोड़ युवाओं को रोज़गार देने की बात करने वाले लाखों में भी रोज़गार दिलाने में नाकाम हुए है।बिना सोचे समझे जीएसटी लगाकर व्यापारियों के धंधे चौपट कर दिए जिसमें अब तक सैकड़ों बदलाव किये जा चुके है रही बात भ्रष्टाचार की राफ़ेल हवाई जहाज़ की ख़रीद में जिस तरीक़े से विपक्ष हमलावर है कि चौकीदारी करने का वादे करने वाला चौकीदार ही चोर है नोटबंदी को भी लाखों करोड़ का घोटाला बताया जा रहा किसान बीमा पर भी सवाल उठ रहे है स्वच्छ भारत के नाम पर देशभर में टॉयलेट बनाने का दावा करने में भी ख़ूब बंदर बाँट हुई है इसमें हुई धाँधली की जाँच की माँग को लेकर अमरोहा में सचिन को भूख हड़ताल करनी पड़ी लेकिन चौकीदार सच को सच मानने को तैयार नही है मान लिया चौकीदार सही है उसने राफ़ेल पर किसी अनिल अंबानी को तीस हज़ार करोड़ का फ़ायदा नही पहुँचाया मान लिया किसान बीमे में कोई हेरा फेरी नही हुई मान लिया स्वच्छ भारत के प्रोग्राम में कोई घोटाला नही हुआ लेकिन जाँच से क्यों भाग रहे है चौकीदार।राफ़ेल पर जेपीसी अगर हो जाए तो इसमें बुराई क्या है क्या इससे पहले कोई जेपीसी नही हुई ? सरकार का राफ़ेल पर जेपीसी से भागना इसी और इसारा है कि दाल में कुछ काला नही बल्कि पूरा ही काला है यही बात संसद में राफ़ेल पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने कही।राफ़ेल पर कुछ ऐसे सवाल है जो चौकीदार की नीयत को सवालों के घेरे में खड़ा करता है पहला क़ीमत 526 से 1600 सौ करोड़ कैसे हुई HAL को क्यों और किसके कहने पर निकाला गया उसकी जगह उद्योगपति अनिल अंबानी कैसे आए 126 की जगह 36 करने की क्या वजह रही आदि-आदि जिनके चौकीदार सही जवाब नही दे रहे है उनका इन मुद्दों पर जवाब न देना राहुल गांधी की उस आरोप में दम लगता है कि चौकीदार ही चोर है अगर नही है तो जाँच कराए और राहुल गांधी और विपक्ष को ग़लत साबित कर दे अब तो उसकी सहयोगी पार्टियाँ भी चौकीदार की चौकीदारी पर शक करने लगी है शिवसेना ने भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाकर चौकीदार की नीयत पर सवाल खड़े किए है।देशा का युवा रोज़गार न मिल पाने से मारा-मारा फिर रहा मॉबलिंचिंग की घटनाएँ भी बेरोज़गारी की वजह से हो रही है अगर हमारे युवाओं के हाथ में काम होगा तो वह फ़ालतू की बातों पर ध्यान ही नही देगा।किसान अपनी आमदनी दोगुना नही होने पर परेशान है बल्कि लागत भी पूरी नही मिल पा रही है।यह हाल है 2014 में दिखाए गए हसीन सपनों का किसी भी सपने साकार नही कर पाए प्रधान सेवक।