वर्तमान काल को विकास का दौर कहा जा रहा है। इस संबंध में भौतिक पदोन्नति का सन्दर्भ दिया जा रहा है लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। क्योंकि विकास के इस दौर में नैतिक मूल्यों का जितना पतन हुआ है वह पहले कभी नहीं था। आज हर व्यक्ति परेशान है। उसकी ज़बान पर जमाने का शिकवा है। वास्तव में यह दौर न केवल असाधारण और विचित्र है बल्कि अत्यंत पीड़ादायक भी है। इस काल में हम अपने जीवन को बिना सोचे समझे इस तरह गज़ार रहे हैं जिस तरह बेजान गुब्बारे हवा के रुख पर उड़ते हैं। हालांकि हम अपने को गर्व से मुसलमान कहते हैं, लेकिन हमारे क्रिया कलाप इसके खिलाफ गवाही देते हैं। हम सांसारिक रीति-रिवाज, रंग व नस्ल के भेद में पड़कर इस्लामी शराफत और सादगी, शरीयत, समानता की रविश छोड़कर सांप्रदायिकता पर उतर आए हैं और आदमियत को बंधक बनाए हैं। परिणाम स्वरुप शालीनता, नेकी, ईमानदारी और मुरव्वत खून के आंसू रो रही है। नीचता और बदकलामी आज़ाद और बेलगाम होकर शहर शहर घूम रही है। इन सभी बातों का नतीजा हमारे सामने है। मादरे पिदर से बात करने को प्यार का प्रतीक माना जा रहा है। होटल आबाद हैं। सड़कें चौपाल बन गई हैं। घर की गंदगी सड़क पर फेंकना आम बात हो गई है। हया और शर्म गायब हो चुकी है। गलियां पेशाब घर में तब्दील हो रही हैं। दूसरों की पीड़ा का एहसास तक नहीं होता। बीच सड़क पर गाड़ी रोक कर, जिस तरह रुकावट बनकर खड़े खड़े बातें करना, युवा पीढ़ी की आदत बन चुकी है।
क्या यह सब इस्लामी शिक्षाओं हैं।? नहीं। तो फिर यह क्यों।? यह सब बातें इसलिए है कि हम मौखिक रूप से तो अल्लाह की उपासना का नारा लगाते हैं मगर व्यावहारिक जीवन में शैतान के अनुयायी बने हैं। मगर ऐसा क्यों।? जवाब यह है कि हम इस बात से अनजान हैं कि दुनिया में हमारे आने का उद्देश्य क्या है। और यह बेखबरी इसलिए है कि हम अल्लाह की ओरसे भेजी गयी गाइड बुक (कुरान) का अध्ययन किया ही नहीं जो हमें इस बात का पता होता कि मां की गोद से क़ब्र गोद तक का जीवन कैसे बिताया जाए। हम सृष्टि के रचयिता के द्वारा प्रदान की बुद्धि का उपयोग करने के बजाय अपनी चिंता को लोगों के हाथ गिरवी रख दिया और उनका अँधा अनुसरण करने लगे जिनके जीवन का उद्देश्य केवल अपनी दुकानें चलाना और शानदार जीवन बिताना है हालांकि होना तो यह चाहिए था कि हम अपनी चिंता अल्लाह के हुक्म के अनुसार और कुरान से जोड़कर रखते तो हमें इस बात का पता होता कि कुरान सम्पूर्ण जीवन आचार संहिता है और पूरी मनुष्यता के लिए सबसे बड़ी दया है क्योंकि कुरान मनुष्य को उन बुराइयों से बचने की ताकीद करता है जो सामूहिक जीवन में फसाद बरपा करते हैं। जिनकी वजह से आपस के संबंध खराब होते हैं। कुरान ऐसे कार्यों की पहचान करता है और उनसे बचने की ताकीद करता है जिससे मनुष्य स्वयं तो गुनाहगार होता है और इसके प्रभाव समाज को बिगाड़ते हैं इसके साथ कुरान आदमी को भरोसे की शिक्षा देता है। नेमतों पर शुक्र अदा करना बताता है। दुख और दुर्घटनाओं पर धैर्य की शिक्षा देता है। कुरान सत्य और प्रकाश की ओर आकर्षित करता है। कुरान विनम्रता, पश्चाताप, माफी की शिक्षा देता है कुरान एक दूसरे को माफ करने और भुलाने का सबक देता है। माँ बाप से अच्छा व्यवहार, पड़ोसियों और दोस्त व मित्रों से हमदर्दी का संदेश देता है। कुरान सारी दुनिया में शांति का प्रतीक है। कुरान हर गम से निजात का तरीका समझाता है। कुरान शिष्टाचार का जीवन सिखाता है। कुरान सही मंजिल की ओर हमारा मार्गदर्शन करता है। कुरान आदमी और ब्रह्मांड के रहस्य बताता है। कुरान न्याय की शिक्षा देता है। कुरान विचार विमर्श के लिए आमंत्रित करता है। कुरान मानव चिंता का विष्हरण करता है। इस तरह कुराने हकीम मानव जीवन के हर पहलू को पेश करता है जिस पर अमल करके नश्वर संसार में सफल रहा जा सकता है और भविष्य में भी विजेता हुआ जा सकता है।
मगर सवाल यह है कि यह सब हम कैसे मालूम हो कि कुरान हमें क्या संदेश दे रहा है। इसके लिए जरूरी है कि हम कुरान को समझ कर पढ़ें और उसे समझें। जो लोग इस तरह कुरान का जिक्र करते और फ़िक्र का सिलसिला जारी रखते हैं उनकी चिंता दूर हो जाती है उनके भीतर नई आत्मा उत्पन्न हो जाती है उनका विवेक शुद्ध और पवित्र हो जाता है और वह सारी सृष्टि विशेष रूप से मिल्लत के दर्द अपना दर्द समझ कर उसको दूर करने की कोशिश करते हैं।
अगर हम चाहते हैं कि हमारे समाज में शांति रहे तो हमें कुरान की वास्तविक रोशनी से ईश्वरीय शक्ति प्राप्त कर शैतानी मिशन के अँधेरे का मुकाबला करना होगा। सही को सही और गलत को गलत कहना होगा। मिल्लत के दर्द को अपना दर्द समझना होगा जो पथ से भटक गए हैं उन्हें कुरान का संदेश बताना होगा। अगर हम यह कर सकें तो यकीनन इस आधार पर ऐसा सुचरित्र समाज बनाना होगा जिसमें एकता, भाईचारा और सौहार्द का वातावरण कायम हो जाएगा। जिसका लाभ मुसलमानों को तो होगा ही पूरे मानव के सामने इस्लाम के शांति का संदेश भी जाएगा।
आइए आज से संकल्प करें कि हम अपने जीवन को अल्लाह की गाइड बुक (कुरान) के सिद्धांतों के प्रकाश में गुजारेंगे करेंगे। आमीन।
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