नई दिल्ली: तीन तलाक बिल लोकसभा में पास हो गया है। 250 सांसदों ने तीन तलाक बिल पर मतदान किया। जिनमें से 238 ने इस बिल का समर्थन किया वहीं 12 ने इस बिल के खिलाफ में अपना मत डाला। इस बिल को लोकसभा में बृहस्पतिवार को पेश किया गया था।

सुबह से शाम तक इस बिल को लेकर बहस होती रही। कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया। AIMIM प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी और AIADMK ने इस बिल का विरोध किया। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने मीडिया से कहा कि वह इस मामले में किसी भी तरह के बिल को नहीं मानते हैं। वह अपने धर्म के नियम के अनुसार ही चलेंगे।

वहीं इस बिल के समर्थन में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक' को महिलाओं के न्याय एवं सम्मान का विषय करार देते हुए सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की बजाय इंसाफ के तराजू पर तौलते हुए पूरे संसद को सर्व सम्मति में इसे पारित करना चाहिए ।

इस पर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, राजद, राकांपा, सपा जैसे दलों ने विधेयक पर व्यापक चर्चा के लिये इसे संसद की संयुक्त प्रवर समिति के समक्ष भेजने की मांग की । सदन में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने अध्यादेश का निरानुमोदन करने वाला सांविधिक प्रस्ताव पेश किया और आरोप लगाया कि यह विधेयक 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया है ।

इसमें संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को चर्चा के लिए रखते हुए इसके बारे में कहा कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन तलाक असंवैधानिक घोषित करने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है। जनवरी 2017 के बाद से तीन तलाक के 417 वाकये सामने आए हैं ।

उन्होंने कहा कि पत्नी ने काली रोटी बना दी, पत्नी मोटी हो ऐसे मामलों में भी तीन तलाक दिये गए हैं । प्रसाद ने कहा कि 20 से अधिक इस्लामी मुल्कों में तीन तलाक नहीं है । हमने पिछले विधेयक में सुधार किया है और अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है।

मंत्री ने कहा कि संसद ने दहेज के खिलाफ कानून बनाया, घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून बनाया, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिये कानून बनाया । तब यह संसद तीन तलाक के खिलाफ एक स्वर में क्यों नहीं बोल सकती ? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस पूरे मामले को सियासत की तराजू पर नहीं तौलना चाहिए, इस विषय को इंसाफ के तराजू पर तौलना चाहिए ।

उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई सुझाव है तो बताये लेकिन सवाल यह है कि क्या राजनीतिक कारणों से तील तलाक पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिलेगा । उन्होंने कहा कि यह नारी सम्मान एवं न्याय से जुड़ा है और संसद को एक स्वर में इसे पारित करना चाहिए।

विपक्षी सदस्यों द्वारा इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग पर स्पीकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है और सदन को इस पर चर्चा करनी चाहिए । इस मामले पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस और वाम दलों ने सदन से वाकआउट कर दिया। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका ।