नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में वनवास खत्म कर सत्ता में आई कांग्रेस के लिए राज्य में मुश्किल खड़ी हो गई है। कांग्रेस गठबंधन में दरार पड़ती नजर आ रही है। चुनाव बाद बहुमत के आंकड़े के कुछ दूर रह गई कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया था। जो अब कमलनाथ और कांग्रेस से नाराज हैं। दोनों पार्टियों और निर्दलीय विधायकों ने बाकायदा एक बैठक भी की। जिसके बाद से कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।

दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सहयोग देकर सत्ता का ताज दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाली बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों में कैबिनेट में तवज्जो न मिलने से नाराजगी बढ़ गई है। इनमें बसपा के दो, सपा के एक और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इस सभी ने होटल में बैठक कर कांग्रेस के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है।

चुनाव परिणाम के बाद समर्थन देकर सरकार में शामिल होने का ख्वाब संजोए बैठे इन विधायकों का दर्द शपथ ग्रहण के बाद छलका। सभी ने कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। बताया जा रहा है कि विधायकों की यह बैठक कमलनाथ कैबिनेट के शपथ ग्रहण के दौरान हुई थी। इनमें एवं बसपा के विधायक संजीव सिंह व रामबाई सिंह, समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला और तीनों निर्दलीय विधायक भगवानपुरा के केदार डाबर, सुसनेर के विक्रम सिंह राणा और बुरहानपुर के सुरेंद्र सिंह एक होटल में विचार विमर्श कर रहे थे।

राज्य में कमलनाथ सरकार के आगे संकट खड़ा करने वाले इन विधायकों ने बताया कि, कांग्रेस ने परिणाम आने के बाद दो स्वतंत्र विधायकों को कैबिनेट में शामिल करने की बात कही थी। हालांकि होटल में हुई बैठक पर बसपा के विधायक संजीव सिंह, सपा के राजेश शुक्ला और केदार डाबर ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।