नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकारों की ओर से किसानों की कर्जमाफी के बाद देश भर में किसानों को इसका लाभ देने की मांग जोर पकड़ रही है.दोनों राज्यों के बाद बीजेपी शासित गुजरात और असम में भी किसानों की रियायत देते हुए कर्जमाफी की कवायद शुरू हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश भर के किसानों का कर्ज माफ होने तक पीएम मोदी को सोने न देने के बयान के बाद अब नीति आयोग में भी हलचल है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा- अगर पूरे देश में ऐसे हालात होते हैं कि कर्जमाफी जरूरी है तो केंद्र सरकार इस बारे में सोचेगी. एक बार ये फैसला 2008 में हो चुका है. अगर जरूरी हुआ तो इस मसले पर कम से कम बात तो हो ही सकती है. इस प्रस्ताव पर विचार संभव है.

वहीं उन्होंने यह भी कहा कि नीति आयोग का मानना है कि कर्ज माफी कोई समाधान नहीं है. ये पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. इसमें केंद्र और राज्य का कोई दखल नहीं बुनता है. नीति आयोग ने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को लोन माफी का फैसला अपनी वित्तीय स्थिति को देखकर ही उठाना चाहिए. उधर जीएसटी पर प्रधानमंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए राजीव कुमार ने कहा कि ये पहल जरूर होनी चाहिए. अभी 97 प्रतिशत सामान 18 प्रतिशत जीएसटी या उससे नीचे के स्लैब मनें हैं. कुछ और चीजों पर जीएसटी कम करनी चाहिए. 18 प्रतिशत से ऊपर सिर्फ नॉन मेरिट गुड्स को रखना चाहिए, जैसे अल्कोहल, सिगरेट, लक्जरी और इंपोर्टेड कार आदि को.

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में ट्वीट किया था कि कांग्रेस पार्टी ने असम और गुजरात के मुख्यमंत्रियों को गहरी नींद से जगाने का काम किया है. प्रधानमंत्री अब भी सो रहे हैं. हम उन्हें भी जगाएंगे. वहीं राहुल गांधी ने यह भी कहा था, "हम पीएम मोदी पर दबाव डालकर किसानों की कर्जमाफी कराएंगे. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हमारी सरकारों को किसानों का कर्ज माफ करने में छह घंटे का वक्त भी नहीं लगा, जबकि मोदी जी के पास साढ़े चार साल थे. मोदी सरकार ने किसानों का एक रुपया भी माफ नहीं किया. राहुल गांधी ने कहा कि किसानों की कर्जमाफी हुए बगैर हम पीएम मोदी को सोने नहीं देंगे.