लखनऊ:आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के तत्वाधान में दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना से जुलूस-ए-गौसिया, या गौस अल मदद की सदाओं के साथ बड़ी ही शान व शौकत के साथ निकाला गया जिसमें शहर की अन्जुमनों ने शिरकत की । अन्जुमन विभिन्न मार्गो के खुले झण्डे बैनर के साथ दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना सुबह 11 बजे पहुची।

जुलूस-ए-गौसिया हज़रत मख्दूम शाहमीना की दरगाह से लगभग 1ः00 बजे बरामद हुआ और मेडिकल चैराहे होता हुआ मेडिकल कालेज स्थित दरगाह हज़रत हाजी हरमैन शाह के आस्ताने पहुचा जहाॅ फातेहा, सलातो सलाम व देष प्रदेश के लिए दुआ के साथ ही साथ आई हुई अवाम के हक में दुआ की गयी वही आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिषन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत सैयद अयूब अशरफ ने कहा कि मिशन हमेशा शासन/प्रशासन से मांग करता चला आ रहा है कि जुलूस-ए-गौसिया व जश्न -ए-मोहम्मदी के लिए माकूल इन्तेजाम किया जाए। हम कभी नही चाहते कि जुलूस की वजह से किसी को कोई परेशानी हो हमने मांग भी कि थी कि जुलूस-ए-गौसिया दरगाह हज़रत मख्दमू शाहमीना से खदरा स्थिति दरगाह शाहदोशी बाबा भेजने की व्यवस्था करें लेकिन हर साल जिला प्रशासन इस विषय में अनदेखी कर देता है जो एक चिन्ता का विषय है।

पूर्व राज्यमंत्री व आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन संरक्षक व हज़रत सैयद जफर मसूद किछौछवी ने कहा कि गौसे आज़म का अखलाके हसना इतना बुलन्द था कि आप इतने जाहो जलाल इज़़्जतो मरताबा, उलू-ए-शान वुसअते इल्म के बावजूद बिला झिझक गरीबो के साथ बैठ जाते, फकीरों के साथ इज़़्जों इनकेसारी से पेश आते बड़ों की इज़्जत करते, छोटे पर नज़रे इनायत फरमाते लोगो से खनदा पेशानी से पेश आते लेकिन आज हम कहा पहुच चुके है हमें गौस पाक की जिन्दगी से सीखना चाहिए। दुनिया में जिन कौमों ने अपने इखलाकों किरदार बिगाड़ लिये उनका अन्जाम इन्तिहाई अफसोस नाक व इबरतखेज बनकर सामने आया और इसी ज़मीन के ऊपर वह बुरी तरह नेस्तो नाबूद कर दी गये। दौरे हाज़िर के मुसलमानों ही पर अगर एक नज़र डालकर देखियें, अभी ताजे शाही खोये हुये एक दो सदी भी नही गुज़री लेकिन यह मुल्क की सबसे पसमानदा कौम बन गये है। और इसके बावजुद अपने को बदलने को तैयार नही है थोड़ा उरूज देखकर अपना मिजाज़ बदलने लग जाते है और कौम में तफरेका फैलाने का काम करने लगते है मगर अपनी हकीकत भूल जाते है। आज ज़रूरत है इत्तेहाद और इतेफाक की, देश के हालात दिन पर दिन बिगड़ते चले जा रहे है नफसा नफसी का हाल है हमे सुझबुझ से काम लेना चाहिए।

जष्न-ए-गौसुल वराह की षुरूआत कारी गुलाबुद्दीन ने तिलावते र्कुआन-ए-पाक से की नात व मन्कबत, कारी आरिफ, कारी अनवार चिष्ती ने पेष किया निज़ामत के फराएज़ मौलाना आज़म अली कादरी ने अन्जाम दिया। मुफती अब्दुल इरफान मियाॅ फिरंगी महली, मौलाना जाकिर मिनाई ने गौसे आज़म पीर अब्दुल कादरी जिलानी की जिन्दगी पर रौषनी डाली।

जुलूस-ए-गौसिया की अध्यक्षता औलादे गौसे आज़म हज़रत सैयद अयूब अशरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन ने की। जुलूस-ए-गौसिया का नेतृत्व मोहम्मदी मिशन संरक्षक औलादे गौसे आज़म जानशीन-ए-मख्दूम-ए-सिमना आले रसूल शाहजादे मौलाना मुज़फफर हुसैन किछौछवी हज़रत मौलाना सैयद ज़फर मसूद किछौछवी, मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरंगी महली, मिशन कोषाध्यक्ष औलादे गौसे आज़म हज़रत सैयद याकूब अशरफ, मिशन उपाध्यक्ष सैयद इकबाल हाशिमी, डाॅ एहसानुल्लाह, शाकिर अली मिनाई उर्फ बाबू भाई, हाजी अब्दुल मन्नान मुशाहिदी, हज़रत मोहम्मद आरिफ मियाॅ नकशबन्दी, सचिव सैयद अहमद नदीम, यूथ अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ, प्रवक्ता सैयद जुनैद अशरफ, इदरीस नूरी, मोहम्मद अयूब, मोहम्मद सईद, सैयद मोहम्मद अरशद, के साथ साथ शहर के तमाम आईमाए मसाजिद व अधिक संख्या में श्रद्धालुओं आदि ने शिरकत की।