लखनऊ: आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि 11वी शरीफ मनाना गौसे आज़म हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी की सुन्नत है। इसे हज़ारों साल से अहले सुन्नत वल जमात मनाता चला आ रहा है। हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी का जन्म 1 रमज़ान 470 हिजरी ईरान के शहर गीलान में हुआ था। आपका रौज़ा ईराक की राजधानी बगदाद में है। आपक वालिद से हसनी व माँ से हुसैनी सैयद हैं। आप पैदाईशी अल्लाह के वली थे। आप कादरी सिलसिले के बानी हैं। इसी सिलसिले में लखनऊ में आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन जे़रे एहतमाम जश्ने गौसुल वरा व जुलुसे गौसिया हज़रते दरगाह शाहमीना शाह, चौक से सुबह 11 बजे बरामद होता है है | हज़रते गौसे गौसे आज़म 11वी शरीफ को हर साल हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम की नज़र व लंगर करते थे। उनका मकसद अमीर व गरीब की दूरियों को पाटना था। जिस तरह मस्जिद में चाहे अमीर हो या गरीब सब के सब एक ही सफ में खड़े हो जाते हैं। मस्जिद नबवी, मस्जिदे खाने काबा, या हम घरों में कुरान ख्वानी या कोई भी मज़हबी प्रोग्राम में करे वहां पर कोई अमीर-गरीब नहीं होता है। दीन में कोई अमीर गरीब नहीं होता है। जब हम दुनिया की बात करते है तो वहा अमीर भी होता है और गरीब भी, ओहदेदारे भी होता है और मज़दूर भी होता है। यही फ़र्क़ दीन और दुनिया का है। जब हम दीन की बात करते हैं तो सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं। मगर जब हम दुनिया की बात करते हैं तो सब अलग-अलग हो जाते हैं क्यों? इसी बात को खत्म किया है गौसे आज़म हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी ने, उन्होंने 11 वी शरीफ के मौके पर जहां उन्होंने नमाज़ का एहतमाम किया वही लंगर का भी। नमाज़ में भी लोग एक साथ खड़े हो गए और लंगर में भी सबको एक साथ बैठा कर अमीर गरीब को इम्तियाज़ ख़त्म कर दिया। हज़रते गोसे आज़म की ज़िन्दगी हमारे लिए एक सबक है जिन्होंने दुनिया ऐसी जी कि दीन से एक लम्हें के लिए गाफिल नहीं हुए।
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