नई दिल्ली: राजस्थान की जनता को उनका मुखिया अब मिल चुका है। अशोक गहलोत को सीएम पद के लिए राज्यपाल कल्याण सिंह ने शपथ दिलाई। उनके साथ ही राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मतगणना के नतीजों के आने के बाद करीब तीन दिन तक कांग्रेस में इस बात पर मंथन हुआ कि आखिर किसे राजस्थान की कमान देनी चाहिए। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थक राज्य के अलग अलग इलाकों में शक्ति प्रदर्शन के जरिए अपनी ताकत का अहसास करा रहे थे। लेकिन एक ट्वीट के जरिए राहुल गांधी ने ये बताने की कोशिश की नेतृत्व के मुद्दे पर किसी तरह का मतभेद न तो था और न है। इसके साथ ही आम चुनाव 2019 के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष ने बस के जरिए विपक्षी एकता को भी जनता के सामने रखा।

सवाल ये है कि अशोक गहलोत के शपथ ग्रहण समारोह में बस के जरिए राहुल गांधी के जाने का मतलब क्या है। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो आम लोगों के साथ दिल से जुड़े हुए हैं। अगर वो सामान्य जन की बात करते हैं तो उसे व्यवहार में उतारते में भी है। राजनीति में सांकेतिक प्रदर्शनों का महत्व होता है, जनता के एक बड़े तबके को ये बताने की कोशिश होती है कि वो खुद आम लोगों की दिक्कतों को महसूस करते हैं।

इसके साथ ही जानकार कहते हैं हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जबरदस्त कामयाबी के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की जीत बताते हैं। इस जीत के जरिए वो संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कांग्रेस की अगुवाई में ही महागठबंधन, बीजेपी को सत्ता से बाहर रख सकती है। राहुल गांधी ने जिस तरह से इन राज्यों के नतीजों से आम लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब हुए हैं उसका फायदा निश्चित तौर पर 2019 के आम चुनाव में दिखाई देगा।