नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शनिवार को वेदांता समूह के स्वामित्व वाले स्टरलाइट कॉपर प्लांट पर तमिलनाडु सरकार के आदेश को टालते हुए निर्देश दिया कि प्रशासन 3 हफ्ते के अंदर सहमति और नवीनीकरण के साथ नया आदेश पारित करे. साथ ही एनजीटी ने कंपनी को यहां के लोगों के विकास के लिए तीन साल के अंदर 100 करोड़ रुपये खर्च करने का भी निर्देश दिया है.

राज्य के पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण मंत्री केसी करुणपन ने कहा कि राज्य सरकार एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी उन्होंने कहा, 'सीएम एडप्पादी के पलानिसवामी तांबा स्मेल्टर प्लांट बंद करने पर अडिग हैं.'

राज्य सरकार द्वारा तांबा स्मेल्टर प्लांट को बंद करने के कुछ महीने बाद एनजीटी का यह आदेश आया है. बता दें कि इस संयंत्र को बंद करने के लिए मई महीने में प्रदर्शन हिंसक हो गया था. जिसमें पुलिस की गोलीबारी में 13 लोग मारे गए थे.

बता दें कि 1997 में शुरू हुई यह कंपनी तूतीकोरिन में कॉपर का खनन करती है. प्लांट की यूनिट में एक स्मेल्टर, एक रिफायनरी, एक फास्फोरस एसिड प्लांट, एक कॉपर रॉड प्लांट और तीन कैप्टिव पावर प्लांट शामिल हैं. स्थानीय लोगों और पर्यावरणीय अधिकारों की रक्षा करने वाले समूहों का कहना है कि इस प्लांट की वजह से ग्राउंड वॉटर और वायु प्रदूषित हो रहा है.

दरअसल ये सारा विरोध इसी साल मार्च में शुरू हुआ, जब कंपनी ने कहा कि वो अपना उत्पादन 4 लाख टन से बढ़ाकर 8 लाख टन प्रति वर्ष करेगी. इसके बाद 29 मार्च को मेंटेनेस के लिए प्लांट को 15 दिनों के लिए बंद कर दिया गया. लेकिन फिर प्लांट 6 जून तक बंद रहा क्योंकि तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड ने पर्यावरण के नियमों का अनुपालन न करने के कारण इसे दोबारा शुरू किए जाने की अनुमति नहीं दी थी.

हालिया विरोध प्रदर्शनों के चलते पीसीबी (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने कंपनी के 25 साल पुराने लाइसेंस को रिन्यू करने से मना कर दिया है. गौरतलब है कि कंपनी के लाइसेंस की समय सीमा इसी साल समाप्त हो रही है. पीसीबी ने लाइसेंस रिन्यू न करने के पीछे 6 कारण बताए हैं जिसमें से एक कारण ये भी बताया गया है कि कंपनी पर्यावरणीय मानकों को पूरा नहीं करती है.