(विनय कुमार तिवारी)

लखनऊ। पिछले पन्द्रह वर्षों तक मध्य प्रदेश में सत्तासीन रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लाये गये एससी एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों की नाराजगी भारी पड़ गयी। इस नाराजगी ने सवर्णों ने अहसास दिला दिया है कि उसे नजरअंदाज करना आगामी आम चुनाव में कितना भारी पड़ सकता है। इस एक्ट को लेकर वैसे तो पूरे देश के सवर्णों में नाराजगी रही, लेकिन जिस तरह से मध्य प्रदेश के सड़कों पर सवर्णों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया उससे स्पष्ट हो गया था, इस बार भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार को सरकार में वापसी मुश्किल हो सकती है, और हुआ भी वही, मध्य प्रदेश के सवर्णों को जिस तरह से एससी एसटी एक्ट के मुखर विरोध के लिये सड़कों पर उतारा गया, उसके पीछे कहीं न कहीं सवर्ण समाज पार्टी का बहुत बड़ा योगदान है। इस पार्टी के द्वारा किये जा रहे एससी एसटी एक्ट के मुखर विरोध के चलते भाजपा ने अपनी सत्ता का दुरूपयोग कर सवर्ण समाज पार्टी को विवादों में घेर दिया और राष्ट्रीय अध्यक्ष का विवाद पैदा कर चुनाव लड़ने से वंचित करवा दिया, लेकिन उसका मुखर विरोध चुनावी मैदान के बाहर जारी रहा और भाजपा को सत्ता में लौटने में वंचित कर दिया। सवर्ण समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्चना श्रीवास्तव ने टेलीफोनिक वार्ता में बताया कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार को मोदी सरकार के लाये गये एससी एसटी एक्ट का खामियाजा भुगतना पड़ा। जहां तक राज्य में कांग्रेस सरकार की वापसी का सवाल है, तो उसे भी राज्य की जनता ने नकारा है, वास्तव में कांग्रेस को अपने विचारों पर जीत नहीं मिली है बल्कि भाजपा के प्रति सवर्णों की नाराजगी का लाभ मिला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्चना श्रीवास्तव ने साफ कहा कि हमारी पार्टी ने जिस तरह से एससी एसटी एक्ट का विरोध किया और उसके समर्थन में सवर्ण सड़कों पर उतरे, उससे तत्कालीन शिवराज सरकार बौखला गयी थी, और उसका परिणाम यह था कि पार्टी को विवादों में घिरवाकर आयोग की मिलीभगत से चुनाव में उतरने से रोक दिया गया। यदि हमारी पार्टी चुनाव मैदान में होती तो राज्य की सरकार बनाने में हमारी पार्टी की न सिर्फ भूमिका होती बल्कि बसपा और सपा का खाता भी नहीं खुलता। मध्य प्रदेश में एससी एसटी के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने वाली सवर्ण समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्चना श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश के चुनाव में सवर्णों ने जिस तरह अपनी ताकत का अहसास दिलाया है, उसे आगामी आम चुनाव में नकारा नहीं जा सकता। इसके साथ ही अगले वर्ष के प्रारम्भ में होने जा रहे आम चुनाव में सवर्ण समाज पार्टी लगभग पचास सीटों पर अपने प्रत्याशियों का उतारने की तैयारी कर रही है।