नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र या उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध करने की कोशिश करती हैं, तो वह सरकार को गिरा देंगे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शुक्रवार को एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'यदि जनवरी में हमारा मामला (राम मंदिर) सूचीबद्ध है, तो हम इसे दो सप्ताह में जीतेंगे, क्योंकि मेरी दो विरोधी पार्टियां केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार हैं। क्या उनके पास विरोध करने की हिम्मत है? अगर वे करते हैं, तो मैं सरकार को गिरा दूंगा। हालांकि, मुझे पता है कि वे ऐसा नहीं करेंगे।'

इसके अलावा, स्वामी ने दावा किया कि मुसलमानों को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, 'जिन मुस्लिमों से मैं व्यक्तिगत रूप से मिला, वे मुझे बताते हैं कि उन्हें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है।'

मामले की टाइमलाइन को समझाते हुए स्वामी ने कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि मुगल शासक बाबर द्वारा कब्जा की गई भूमि हमारी है। उन्होंने कभी नहीं कहा कि वे बाबरी को फिर से बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारी जमीन है। राम जन्मभूमि व्यास और निर्मोही अखाड़ा जैसे हिंदू पक्षों ने कहा कि वहां दो मंदिर थे जिनमें वे ट्रस्टी थे, और उन्हें दिया जाना चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके मुकदमे को सुना और कहा कि यह राम जन्मभूमि है, दो हिस्से हिंदुओं के पास जाएंगे, और एक मुसलमानों के पास।'

उन्होंने आगे कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे चुनौती दी क्योंकि जमीन मुसलमानों को दी गई थी, न कि उन्हें। 2010-2017 से मामला नहीं सुना था। मैं सुप्रीम कोर्ट में गया और यही कारण है कि अदालत द्वारा तारीख तय नहीं की जा रही थी। सबसे पहले, उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरी हिस्सेदारी क्या है (इस मामले में)।' इस मामले के बारे में बताते हुए, स्वामी ने दावा किया कि प्रार्थना करने का उनका अधिकार संपत्ति के ऊपर माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुझे संविधान के अनुसार प्रार्थना करने का अधिकार है। अदालत सुनने के लिए सहमत हो गई। मेरा विश्वास कहता है कि राम यहां पैदा हुए थे और मैं वहां एक बड़ा मंदिर चाहता हूं। मुस्लिम केवल संपत्ति मांग रहे हैं, जो एक मौलिक अधिकार नहीं है। अपनी टिप्पणी में वजन बढ़ाने के लिए स्वामी ने दावा किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कहा कि राम जन्मभूमि की विवादित भूमि पर एक मंदिर था। अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए इसे जनवरी 2019 तक स्थगित कर दिया था।