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ओबीसी की 983 जातियों को नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ: रिपोर्ट

नई दिल्ली: हाल ही में एक रिपोर्ट में अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में घोर असमानता देखने को मिली है, जिसके तहत इस वर्ग की सिर्फ 25% जातियां ही 97 फीसदी आरक्षण का लाभ ले रही हैं। वहीं इस वर्ग की 983 जातियों को आरक्षण का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है! यह रिपोर्ट Commission of Examine Sub-Categorisation of OBCs ने तैयार की है। इस कमीशन का गठन अक्टूबर, 2017 में किया गया था। बीते हफ्ते ही इस कमीशन का कार्यकाल 31 मई, 2019 तक के लिए बढ़ाया गया है। कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग में जिन जातियों को सबसे ज्यादा आरक्षण का लाभ मिला है, उनमें यादव, कुर्मी, जाट (राजस्थान का जाट समुदाय सिर्फ भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट समुदाय को ही केन्द्रीय ओबीसी लिस्ट में जगह दी गई है), सैनी, थेवार, एझावा और वोक्कालिगा जैसी जातियां शामिल हैं।

कमीशन ने मौजूदा रिपोर्ट तैयार करने करने के लिए 1.3 लाख केन्द्रीय नौकरियों, जो कि ओबीसी कोटा के तहत बीते 5 सालों के दौरान दी गईं थी, उनका अध्ययन किया। इसके साथ ही आयोग ने केन्द्रीय यूनिवर्सिटीज, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे संस्थानों में हुए एडमिशन का भी अध्ययन किया। डाटा में जो एक और बात निकलकर सामने आयी है, वो ये कि जिन कई राज्यों में उनकी जनसंख्या के हिसाब से ज्यादा कोटा दिया गया है। वहीं कई राज्यों में जनसंख्या ज्यादा होने के बावजूद कोटा का लाभ जरुरी लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। रिपोर्ट में पता चला है कि ओबीसी की 983 जातियों का जहां आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला है, वहीं 994 जातियां सिर्फ 2.68% ही आरक्षण का लाभ ले पा रही हैं।

यह रिपोर्ट तैयार करने वाले आयोग की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी कर रही हैं। फिलहाल आयोग ने ये रिपोर्ट देश के सभी मुख्य सचिवालयों और राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग को भेज दी है। आयोग ने पिछड़ा वर्ग के सभी लोगों को आरक्षण का बराबर लाभ देने के लिए इसे सब-कैटेगरी में बांटने का प्रस्ताव दिया है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए आयोग ने रेलवे, पोस्ट विभाग, केन्द्रीय पुलिस बल, पब्लिक सेक्टर बैंक, इंश्योरेंस ऑर्गेनाइजेशन्स और कई केन्द्रीय नौकरियों के अध्ययन के आधार पर तैयार की गई है। बता दें कि देश में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था साल 1993 में लागू की गई थी। इसके बाद साल 2006 में यूपीए के कार्यकाल में केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों में भी यह आरक्षण व्यवस्था लागू कर दी गई थी।

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