नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट से पिछले सप्‍ताह रिटायर हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा के कार्यकाल में शीर्ष अदालत के कामकाज के तरीके को लेकर कई बार ऐतराज जता चुके हैं। अब उन्‍होंने हैरान करने एक खुलासे में दावा किया है कि इस साल 12 जनवरी को उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के जिन 3 सीनियर जजों ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उन्‍हें ऐसा लगता था कि तत्‍कालीन सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा 'बाहर से रिमोट-कंट्रोल्‍ड' थे और केसों का आवंटन 'राजनीतिक पक्षपातपूर्ण' तरीके से जजों को किया करते थे।

एक इंटरव्‍यू में रिटायर्ड जस्टिस कुरियन ने उन बातों का जिक्र क‍िया, जिसके कारण उन्‍हें व 3 अन्‍य सीनियर जजों को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का फैसला लेना पड़ा, जबकि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ था। प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों में जस्टिस कुरियन के साथ-साथ जस्टिस चेलमेश्‍वर, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे, जो दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद अब देश के प्रधान न्‍यायाधीश हैं। उन्‍होंने कहा कि प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का विचार जस्टिस चेलमेश्‍वर का था और उनके साथ-साथ दो अन्‍य जजों ने उनसे पूरी तरह सहमति जताई।

यह पूछे जाने पर कि आखिर जस्टिस मिश्रा के सीजेआई के तौर पर कार्यभार संभालने के 4 महीनों के भीतर ऐसा क्‍या हो गया कि देश की शीर्ष अदालत के 4 सर्वाधिक सीनियर जजों को यह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करनी पड़ी, जस्टिस (रिटायर्ड) कुरियन ने कहा, 'चुनिंदा जजों की अगुवाई वाली बेंचों को केसों के आवंटन, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स के जजों की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर बाहरी प्रभाव के कई उदाहरण थे।' उन्‍होंने कहा कि कई केसों का आवंटन उन जजों को किया गया, जो राजनीतिक तौर पर पक्षपातपूर्ण रूझान के लिए जाने जाते थे।

उन्‍होंने कहा, 'हमें लग रहा था कि कोई बाहर से सीजेआई को कंट्रोल कर रहा है। हमने तत्‍कालीन सीजेआई से मुलाकात की और उनसे इस बारे में बात की। उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट की स्‍वतंत्रता व गरिमा बहाल रखने के लिए लिखा भी। लेकिन जब सभी प्रयास विफल साबित हुए तो हमने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने का फैसला लिया।'