लखनऊ: आज़ाद महिलाओं से भाजपा और संघ परिवार की मूल मनुवादी विचारधारा को बहुत खतरा लगता है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक लेख में मनुस्मृति के हवाले से कहा कि महिलाओं को हमेशा पिता पति या पुत्र के नियन्त्रण में होना चाहिए और अनियंत्रित और आज़ाद महिलाओं को उन्होने दैत्य कहा. ऐसी दकियानूसी सोच रखने वाले योगी भाजपा के स्टार प्रचारक हैं और मोदी के उत्तराधिकारी है. महिला आजादी व लोकतंत्र की रक्षा के लिए मोदी-योगी सरकार को उखाड़ फेंकना जरुरी है.

यह बात शनिवार को यूपी प्रेस क्लब में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में संगठन की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने कही. सेमिनार का विषय था – महिला अधिकार व लोकतंत्र पर बढ़ते हमले : चुनौतियां और संभावनाएं.

उन्होंने कहा कि अम्बेडकर के अनुसार हिंदू राज भारत के लिए सबसे बड़ा हादसा होगा और यह बात सबसे ज़्यादा भारत की महिलाओं के लिए सच है. सबरीमला मामले में भी भाजपा ने साबित किया है कि वह महिलाओं के साथ भेदभाव के साथ खड़ी रहेगी और संविधान और सर्वोच्च न्यायालय को ठेंगा दिखाएगी.

कविता कृष्णन ने कहा कि 2012-13 में बलात्कार विरोधी महिला आंदोलन ( दिल्ली का निर्भया आंदोलन) हुआ, जिसने उस समय के कांग्रेस और यूपीए सरकार को जवाबदेह ठहराया. इस समय भाजपा के केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ बोलने-लड़ने वाली महिलाओं को देशद्रोही कहती है. हाल में एपवा की 75 महिलाओं पर रोज़ी-रोटी मांगते हुए जुलूस निकालने के लिए बनारस में भी केस दर्ज किया गया.

सेमिनार को संबोधित करते हुए एपवा की राज्य अध्यक्षा कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उन्नाव में भाजपा सरकार बलात्कार के आरोपी विधायक को बचाने में लगी और अब भी भाजपा ने अपने आप को विधायक से अलग नहीं किया. देवरिया शेल्टर होम कांड में भी सरकार सच्चाई और न्याय को दबाने में लगी है. बच्चों और बच्चियों को सुरक्षित घर पहुंचाने का सरकार का दावा सही है या नहीं – पूरे मामले में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच की ज़रूरत है.

राष्ट्रीय महिला फेडरेशन की प्रदेश अध्यक्ष आशा मिश्रा ने कहा कि महिलाओं, मज़दूरों व गरीबों के सवालों को उठाने वाले लोगों को अर्बन नक्सल कह कर गिरफ्तारी की जा रही है या गौरी लंकेश और गोविंद पानसरे की तरह संघी आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी जा रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता नईश हसन ने कहा कि वे खुद 15 वर्ष से त्वरित तीन तलाक़ के खिलाफ आंदोलन में लगी रही हैं और मुस्लिम महिला संगठन के आंदोलनों के चलते ही सर्वोच्च न्यायालय में जीत हुई. पर मोदी सरकार जो अध्यादेश लायी है उससे मुस्लिम महिलाओं का कोई भला नहीं होगा. मुस्लिम पुरुष अगर अपनी पत्नी को बिना वैध तरीके से तलाक़ दें तो अध्यादेश के तहत उसे जेल होगा – पर ऐसा करने वाले हिंदू पुरुष को जेल भेजने का कोई कानून तो नहीं है! उन्होंने कहा कि तीन तलाक़ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करने वाली भाजपा सबरीमला फैसले का हिंसक विरोध क्यों कर रही है. महावारी के नाम पर महिलाओं का मंदिर में प्रवेश रोकने वाली भाजपा क्या नहीं जानती कि पूरा मानव समाज उसी खून की औलाद है.

सभा की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार कुलसुम मुस्तफा ने कहा कि सभा में पुरुषों को महिलाओं के आंदोलन का साथ और सहयोग करते हुए देख कर अच्छा लगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि महिलाएं और उनका साथ देने वाले पुरुष भी पितृसत्ता के खिलाफ लड़ाई को तेज़ करेंगे. सेमिनार का संचालन ऐपवा की जिला संयोजक मीना ने किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे.