चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में प्रेस और मीडिया के पक्ष में एक मजबूत फैसला दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सुरक्षित नहीं रहा तो भारत नाजी स्टेट बन जाएगा। जस्टिस पीएन प्रकाश ने साप्ताहिक पत्रिका, इंडिया टुडे के तमिल संस्करण के खिलाफ 2012 में शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही रद्द कर दिया। इसके अलावा उन्होंने सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्यों पर भी गौर किया।

कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा,”भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और चौथा स्तंभ (प्रेस/मीडिया) अनिवार्य रूप से इसका हिस्सा हैं। यदि चौथे स्तंभ की आवाज़ इस तरह से दबाया गया, तो भारत नाज़ी राज्य बन जाएगा और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं की कड़ी मेहनत नाली में जाएगी।” जस्टिस प्रकाश ने इस बात पर जोर दिया कि प्रेस की स्वतंत्रता अक्षुण्ण रखनी चाहिए।

न्यायमूर्ति प्रकाश ने जोर दिया कि लोकतंत्र में अपनी भूमिका के बावजूद प्रेस की आजादी को संरक्षित किया जाना चाहिए, भले ही उनसे कभी-कभी अपराध हों। कोर्ट ने कहा,”ये प्रेस का गंभीर दायित्व है कि वह लोगों के जेहन में संबंधित राजनीतिक दलों या महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी जानकारियों और यादोें को याद करवाते रहें। ये जनता के बीच खपत और उनकी सार्वजनिक जीवन के प्रति उनकी स्मृति को ताजा करने के लिए भी आवश्यक है। अगर ये करने के लिए प्रेस को दबाया गया तो इस देश मेेंं लोकतंत्र पूरी तरह से खतरे में पड़ जाएगा। हालांकि इस दौरान प्रेस से कभी—कभी कुछ गलतियां भी हो सकती हैं लेकिन देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए ऐसी छोटी ग​लतियों को माफ किया जा सकता है।”

बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने ये मामला इंडिया टुडे के खिलाफ दाखिल किया था। ये मामला उस लेख के खिलाफ दायर किया गया था जिसमें ये कहा गया था कि एआईएडीएमके की पूर्व सदस्य वीके शशिकला ने साल 2012 में एआईएडीएमके कैबिनेट से प्रदेश के तत्कालीन राजस्व मंत्री केए सेनगोट्टईयान को हटाने के फैसले को प्रभावित किया था। राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि इस लेख के कारण पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके प्रमुख जे. जयललिता की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है।