या तो पाकिस्तान से सम्बन्ध के सुबूत दो या माफ़ी मांगो

जम्मू/श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा बुधवार की रात विधानसभा भंग कर देने के बाद प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। इसको लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मीडिया को संबोधित करते हुए राज्यपाल की कड़ी निंदा की। साथ ही उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि दुर्भाग्य है कि एक सीनियर बीजेपी नेता ने कहा कि हमें पाकिस्तान से निर्देश मिलते हैं। मैं राम माधव साहब और उनके सहयोगियों को चुनौती देता हूं कि इसका सबूत पेश करें। उन्होंने कहा कि आपने हमारे साथियों के बलिदान का अपमान दिया है जिन्होंने देश के लिए पाकिस्तान के निर्देशों पर चलने से मना किया और मारे गए।

साथ ही उमर ने कहा कि हकीकत ये है कि बीजेपी ने जब पीडीपी से रिश्ता तोड़ा हमारी कोशिश रही कि विधानसभा भंग होकर फिर से चुनाव कराए जाएं। इसको लेकर गर्वनर पर हम लगातार जोर देते आए हैं। लेकिन अनिश्चिचितता जम्मू-कश्मीर के फायदे की बात नहीं थी। खासकर सियासी पार्टियों के ऊपर ये लोग तलवार लटकाए हुए थे। उसके विधायकों के खरीद फरोख्त की चर्चा हो रही थी। उमर ने कहा कि हमने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया था हमें पता है इससे हमें राजनीतिक घाटा होता लेकिन प्रदेश के हित के लिए हमने यह फैसला लिया।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है। उन्होंने कहा कि 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 56 है जो इससे अधिक है।