नई दिल्ली: राजस्थान में नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। 22 नवंबर तक नाम वापस लिए जाएंगे। लिहाजा, सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ही खेमों में बागियों को मनाने और डैमेज कंट्रोल का सिलसिला तेज है। सबसे ज्यादा बागी भाजपा में हैं। वसुंधरा सरकार के करीब दर्जन भर मंत्री और विधायकों ने बगावत करते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र गोयल, राजकुमार रिणवा, हेमसिंह भड़ाना, धनसिंह रावत, ओमप्रकाश हुडला, देवेन्द्र कटारा के अलावा ज्ञानदेव आहूजा, डीडी कुमावत,नवनीत लाल निनामा, देवी सिंह शेखावत, राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संदीप यादव, पवन गोयल और सूरज सोनी भाजपा के लिए न सि्रफ बागी हैं बल्कि उनके लिए सिरदर्द बन चुके हैं। तुलनात्मक लिहाज से देखें तो कांग्रेस में भाजपा के मुकाबले कम बागी हैं। इन बागियों को मनाने के लिए केंद्रीय स्तर से 14 नेता राजस्थान पहुंच चुके हैं।

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिस राजनीतिक दल में जितने ज्यादा बागी होंगे, उस दल को चुनावों में उतने ही अधिक नुकसान उठाने पड़ेंगे। अधिकांश बागी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस खेमे में बगावत करने वालों में तारागनगर से सीएस बैद, खंडेला से महादेव सिंह खंडेला किशनगढ़ बास से दीपचंद्र खेरिया, दुदु से बाबूलाल नागर और विद्याधर नगर से विक्रम सिंह शेखावत चर्चित चेहरों में शामिल हैं। बता दें कि राजस्थान की 200 विधान सभा सीटों के लिए 7 दिसंबर को मतदान होने हैं। चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।

इधर, कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि तीन दिनों के अंदर यानी नामांकन वापसी से पहले वो बागियों को मना लेंगे। भाजपा की तरफ से खुद सीएम वसुंधरा राजे बागियों को मनाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्होंने अपने विश्वस्त और सिपहसलारों को इस काम पर लगा दिया है। उन्हें भी उम्मीद है कि जल्द ही बागियों को मना लिया जाएगा। हालांकि, इस बीच कई बागी मंत्रियों ने तल्ख तेवर दिखाते हुए सुवह करने से इनकार कर दिया तो कुछ ने कहा कि उन्हें कोई मनाने ही नहीं आया। सबसे ज्यादा मौन मनौव्वल निर्दलीय उतरे बागियों की हो रही है। कुछ बागियों ने भारत वाहिनी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का सहारा लिया है।