नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान बिहार में भाजपा और जदयू दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इस दौरान बिहार के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए खुलकर एनडीए गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान किया था। यही वजह थी कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 31 सीटेंएनडीए को मिली थी। भाजपा के 22, लोजपा के 6 और रालोसपा के 3 उम्मीदवार विजयी हुए थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो सिर्फ भाजपा को 29.40 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, सहयोगी दल लोजपा को 6.40 और रालोसपा को 3 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन अगले साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया। लेकिन वर्तमान में बिहार की 33 प्रतिशत जनता पीएम मोदी के कार्य से नाखुश हैं। वहीं, नीतीश कुमार 48 फीसदी जनता की पसंद बने हुए हैं।

एक्सिस माय इंडिया के हालिया सर्वे के अनुसार, केंद्र के कामकाज से बिहार की 31 प्रतिशत जनता थोड़ी संतुष्ट है। थोड़ा असंतुष्ट वालों की संख्या 6 प्रतिशत है। 33 प्रतिशत जनता असंतुष्ट है। वहीं, 8 प्रतिशत लोग इस सवाल पर अभी ‘पता नहीं’ का जवाब दे रहे हैं। वहीं, 20 प्रतिशत बिहारी ही केंद्र सरकार के कामकाज से खुश हैं। वहीं, बात मुख्यमंत्री की करें तो 48 प्रतिशत जनता अभी भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। 25 प्रतिशत जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। मात्र 6 प्रतिशत लोग ही चाहते हैं कि सुशील मोदी बिहार के मुख्यमंत्री बनें। 1 प्रतिशत जनता एक बार फिर से राबड़ी देवी को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में मुख्य रूप से महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला था। महागठबंधन में तीन पार्टियां जदयू, राजद और कांग्रेस शामिल थी। वहीं, एनडीए में चार पार्टियां भाजपा, रालोसपा, लोजपा और हम शामिल थी। महागठबंधन का चेहरा नीतीश कुमार थे। वहीं, एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री के तौर पर किसी का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया गया था। इस चुनाव में ‘बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो’ जैसे स्लोगन के माध्यम से चुनावी कैंपेन चलाया गया था।

जनता ने भी नीतीश कुमार को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए महागठबंधन के पक्ष में सर्वाधिक मतदान किया। नतीजा रहा कि महागठबंधन को 178 सीटों पर जीत मिली। वहीं, एनडीए मात्र 58 सीटों पर सिमट गई। अन्य के खाते में 7 सीटें गई। इस चुनाव में राजद 80 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जदयू को 71 सीटें मिली। कांग्रेस ने भी 27 सीटों जीत दर्ज हासिल की थी। वहीं, एनडीए में भाजपा को 53, रालोसपा को 2, लोजपा को 2 और हम को 1 सीटें मिली थी। हालांकि, 20 महीने बाद ही महागठबंधन टूट गया और नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बना ली।