लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।मोदी की भाजपा के सत्ता में आने के बाद देश की सियासत के रंग बदले-बदले से नज़र आ रहे है मुखौटा लगाकर सियासत करने वालों का मुखौटा उतर गया है यह बात अब धीरे-धीरे सबकी समझमें आने लगी है साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ लड़ने का ऐलान करने वाले अधिकांश दल आज साम्प्रदायिकता से लडाई नही मोदी की भाजपा से बचने के लिए अपने लिए रास्ते ढूँढ रहे है क्योंकि मोदी की भाजपा ने उनके सामने ऐसा संकट खड़ा कर दिया है कि न खाए बन रहा है और न निगलते बन रहा है जो दल अब तक मुसलमानों का बेवक़ूफ़ बनाते आए कि हम मुसलमानों के हमर्दद है असल में वही मुसलमानों के दुश्मन है उन्होंने ही उस नांगनाथ या साँपनाथ को पाल पोस कर बड़ा किया है लेकिन अब वह उन्हीं को डँस रहा है आह आह निकल रही है साम्प्रदायिकता को पालने वालों से सवाल है कि 2014 से पूर्व या इन्हीं के शासन में कितने मुसलमानों को मारा गया और रोने भी नही दिया कांग्रेस ने एक योजनाबद्ध तरीक़े से मुसलमानों को ज़मीन पर रेंगने को विवश किया और कहती रही कि हम मुसलमानों के लिए अलग से योजनाएँ लाएँगे लाएँ भी पर सिर्फ़ दिखावे के लिए उन योजनाओं का लाभ मुसलमानों को नही मिला एक षड्यंत्र के तहत जिन योजनाओं को मुसलमानों के लिए लाने का नाम दिया जाता था वो अल्पसंख्यकों के लिए होती थी और अल्पसंख्यक सिर्फ़ मुसलमान ही नही है इसमें और भी है उनको योजनाओं का लाभ मिला और नाम मुसलमानों का लिया गया और भाजपा ने मुस्लिम तुष्टिकरण का नाम देकर बहुसंख्यको में ज़हर भरा कि कांग्रेस तो विकास पर पहला हक़ मुसलमान का मानती है और बहुसंख्यक भी भाजपा के बुने जाल में फँस गये उन्होंने भी यक़ीन कर लिया कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण कर रही है अब सवाल यह कौंधता है कि अगर कांग्रेस की नीति मुस्लिम तुष्टिकरण की होती तो आज मुसलमान दलितों से बत्तर हालत में क्यों होता यह मैं नही सरकार के द्वारा गठित दो कमेटी व आयोग का कहना है।यही हाल समाजवादी की सरकार का रहा है उसने भी मुसलमानों को कुछ नही दिया उसने कांग्रेस से बत्तर हालत कर दी उसने मुसलमानों के उन लोगों को बढ़ावा दिया जिनका बैक ग्राउंड आपराधिक पृष्ठभूमि से आता था उनको पालना सपा सरकार देती थी और उसके पास जो फोज होती थी वह भी उसी पृष्ठभूमी से आते थे इनका मुस्लिमों से क्या लेना देना वह क्या कर सकते है उनमें सोचने समझने का दिमाग़ नही है और अगर यह मान भी लिया जाए कि वह सोच सकता है तो उनके कालेकारनामे उनकी सोच को कुंद कर देंगे मुलायम परिवार ने मुसलमानों को थाने की दलाली चरस गाँजा सुलफा आदि जितने बुराइयों के काम है उनको करने की खुली छूट दी और साम्प्रदायिक दंगों को कराकर लाखों मुसलमानों को घरों से बेघर कर दिया और हज़ारों मुसलमानों को मौत के आगोश में सोने के लिए मजबूर कर दिया सपा ने मुसलमान को अब यह कैसे कहा जा सकता है कि इन्होंने मुसलमानों को आगे करने का प्रयास किया सच बात तो यह है इन्होंने ही RSS को पाला पोसा अपने शासन में भी उनकी आईडियोलोजी के IAS-IPS अफ़सरों को तैनाती मिलना उतनी ही सरल थी जितनी आज है बल्कि आज कठिन है उनके शासन में आसान थी जो अपने आपको सेकयूलर होने का मखौटा लगाकर गुमराह करते चले आ रहे थे असल में वह भी इसी की तरह अपना एजेंडा चलाते थे मुसलमान को ज़मीन पर रेंगने को मजबूर करते थे मोदी की भाजपा मुसलमान का इतना नुक़सान नही कर सकती है जितना इन्होंने मखौटा पहनकर किया है लेकिन अब वही नांगनाथ व साँपनाथ इनको भी डँसने लगा है इनका राजनीतिक अस्तित्व ख़तरे में है उसे बचाने के लिए यह तड़प रहे है कही साम्प्रदायिक नाम दिया जा रहा है तो कही कुछ यह सब कर मोदी की भाजपा को सत्ता से बेदख़ल करना चाहते है जिससे अपनी राजनीतिक अस्तित्व को बचाया जा सके कोई भी दल जनता की बाद में सोचता है पहले अपनी जान बचाता है आज जो सरकारें चल रही है जो इनकी सरकारों में धर्म का हवाला देकर अपनी बात आसानी से मनवा लेते थे आज वही उनको सियासत से खतम करने का कुचक्र रच रहा जिसमें मखौटे वाले दल फँसते जा रहे है उसी चक्रव्यूह से बचने के लिए तरह-तरह के चुनावी जुमले गढ़ रहे है साम्प्रदायिकता को कुचलने की बात ही कहाँ से आती अगर वह राजधर्म सही निभाते रही बात मुसलमान की वह सबसे ज़्यादा सुरक्षित है भाजपा की सरकार में ऐसा नही है मोदी की भाजपा ने कोई ख़ास सुविधाएँ दी है बिलकुल नही उन्हें पता है कि हमारी सरकार नही है हमें उस तरह रहना है मुसलमान इसलिए सुरक्षित है न कि मोदी की भाजपा की वजह से।मुसलमानों को नुक़सान सबसे ज़्यादा तब होगा या किसी को भी जब वह गुमराह हो जाएगा कि हमारा कुछ नही बिगड़ेगा उस हालत में सबसे ज़्यादा नुक़सान होता है और हुआ भी है मुरादाबाद ,मेरठ , हासिमपुरा व भागलपुर ओर 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे इसका ताज़ा उदाहरण है कि किस तरह अराजकता फैलाने वाले संगठनों ने सपा की अखिलेश यादव सरकार में नंगानाच किया ओर सपा की सरकार का प्रशासन देखता रहा था और दंगे भड़कते रहे थे यह हाल है मखौटे वाली सरकारों का कुल मिलाकर मोदी की भाजपा जीते कांग्रेस जीते या अन्य कोई इससे मुसलमान को न ख़ुश होना चाहिए न ग़म करना चाहिए।साम्प्रदायिकता से लड़ना तो एक बहाना है मक़सद अपने सियासी विरोधी को हराना है करना चाहे कुछ भी पड़े चाहे मुसलमानों के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचे या कुछ और करे नांगनाथ को हराकर साँस लेना है।