लखनऊ: समाजवादी बौद्धिक सभा के अध्यक्ष एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपक मिश्र देश की प्रमुख थिंक टैंक संस्थानों के एक सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) की कार्यसमिति के सदस्य बनाये गए हैं। आईसीपीएस की अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन एवं इसकी क्षेत्रीय (उत्तर प्रदेश) शाखा के अध्यक्ष विधान परिषद के माननीय सभापति रमेश यादव हैं।

इस अवसर पर श्री मिश्र ने कहा कि संसदीय एवं सांविधानिक संस्थानों को जनोन्मुखी बनाने के लिए व्यापक अभियान की आवश्यकता है। भारतीय गणराज्य के बुद्धिजीवियों को राजनीति में सक्रिय भूमिका लेनी चाहिए और देश-समाज-काल से जुड़े सवालों पर बहस चलनी चाहिए। राजनीति केवल चुनाव लड़ना व मंत्री-सांसद-विधायक बनना ही नहीं है।

श्री मिश्र ने बताया कि आईसीपीएस की स्थापना भारत रत्न, महान विद्वान व देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने 10 दिसम्बर, 1965 को किया था ताकि संसद व संविधान के गठन में निहित आदर्शों एवं महापुरुषों के सपनों की चमक धूमिल न हो और सांविधिक व संसदीय प्रणाली कुछ लोगों तक ही सीमित न रह जाये ।देश में सामाजिक सहकार, सद्भाव व समाजवाद की अवधारणा कमजोर न हो इसीलिए उन्होंने संसदीय अध्ययन का मूलमंत्र “सं जानीध्वं सं पृच्यध्वं“ घोषित किया। दीपक ने चिंता व्यक्त की कि संस्थान अपने उद्देश्यों के प्रति लापरवाह हो गया है। इसका अनुमान “लोगो“ की त्रुटि से लगाया जा सकता है। “सं जानीध्वं सं पृच्यध्वं“ की जगह “सजानीध्यं सप्रत्यध्यं“ छपने लगा है। यूएनओ में हिंदी के सम्मान के लिए अनवरत अभियान चलाने वाले दीपक ने कहा लोगो में किसी भारतीय भाषा का न होना भी खटकता है। कार्यप्रणाली एवं अन्य सुधारों को लेकर श्री मिश्र लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से शीघ्र ही मुलाकात करेंगे और ज्ञापन सौंपेंगे । श्री मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया व सर्व पल्ली राधा कृष्णन सदृश महान विभूतियों के सपनों को पूरा करना भारतीय गणराज्य के सभी सदस्यों का नागरिक कर्तव्य है।

श्री मिश्र को कई बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि दीपक के कारण संस्थान की वैचारिक ताकत गुणात्मक रूप से बढ़ेगी।