नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। सोमवार को सरकार ने इस डील को लेकर एख अहम हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस सौदे की कीमत और इससे जुड़े अहम ब्योरे सील बंद लिफाफे में सौंपने को कहा था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा- '36 राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया था।'

दस्तावेजों में कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई। याचिका के मुताबिक विमान के लिये रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई और भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत की। सरकार ने कहा है कि राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया।

इससे पहले 10 अक्टूबर के अपने आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि वह केवल इस सौदे की निर्णय प्रक्रिया को देखना चाहेगा। इस डील की कीमत के बारे में उसे जानकारी नहीं चाहिए लेकिन 31 अक्टूबबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस सौदे की कीमत के बारे में जानकारी चाहेगा।

इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से ऑफसेट कंपनी के चुनाव में अपनाए गए मानकों की जानकारी उसे सील बंद लिफाफे में 10 दिनों के भीतर देने के लिए कहा था। तब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि विमानों की कीमत का खुलासा करना शायद संभव नहीं है।