नई दिल्ली: भारत की शीर्ष केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई इन दिनों भारी ऊथल-पुथल के दौरे से गुजर रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सरकार ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को फिलहाल उनके पद से हटाकर एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया हुआ है। हालांकि आलोक वर्मा सरकार की इस कार्रवाई से नाराज हैं और इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। बहरहाल सीबीआई में जांच जारी है। इसी बीच खबरें आ रही हैं कि आलोक वर्मा राजनीति में उतर सकते हैं! सूत्रों के अनुसार, आलोक वर्मा को लगता है कि वह सोशल मीडिया पर हीरो बन गए हैं।

अब भाजपा विरोधी एक गुट ने भी ये बात फैलानी शुरु कर दी है कि आलोक वर्मा को दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। भाजपा विरोधियों का मानना है कि आलोक वर्मा, नरेंद्र मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन सकते हैं। भाजपा सरकार पर विपक्षी पार्टियां नोटबंदी, रफाल डील में कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही हैं। गौरतलब है कि आलोक वर्मा के दोस्त और ईडी के अधिकारी राजेश्वर सिंह भी राजनीति में काफी दिलचस्पी लेते हैं। साल 2017 में तो उनके शुभचिंतकों ने राजेश्वर सिंह को नोएडा विधानसभा से चुनाव लड़वाने की कोशिश भी की थी। बहरहाल जिस तरह से आलोक वर्मा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, उससे उनके राजनीति में उतरने की बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता।

बता दें कि कांग्रेस समेत कई राजनैतिक पार्टियों ने भी आलोक वर्मा को निदेशक पद से हटाए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। कांग्रेस का आरोप है कि आलोक वर्मा रफाल डील की जांच कर रहे थे और यही वजह है कि उन्हें सरकार ने पद से हटा दिया। बता दें कि मोईन कुरैशी मामले में सतीश साना नाम के एक कारोबारी ने राकेश अस्थाना पर रिश्वत लेने के लिए आरोप लगाए थे। जिसके बाद राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई थी। वहीं राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर भी रिश्वत लेने के आरोप लगाए। फिलहाल सीवीसी मामले की जांच कर रही है।