नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि आरबीआई बोर्ड को संस्थागत हितों का बचाव करना चाहिए। राजन का सुझाव है कि बोर्ड को समझदारी भरे सुझाव देने चाहिए और दूसरे के हितों के लिए काम नहीं करना चाहिए। एक इंटरव्यू में राजन ने कहा, ‘इसे (आरबीआई बोर्ड को) संस्था की भलाई के लिए काम करना चाहिए। इसके अलावा, विस्तृत और समझदारी भरी सलाह देनी चाहिए।…बोर्ड का मकसद राहुल द्रविड़ जैसा बुद्धिमान और विचारशील बनना हो, पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं, नवजोत सिंह सिद्धू जैसा बनना नहीं।’ बता दें कि फिलहाल राजन यूनिवर्सिटीऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर फाइनेंस प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

आरबीआई और सरकार के बीच जारी टकराव को लेकर उन्होंने कहा कि यह तल्खी और ज्यादा नहीं बढ़नी चाहिए। सरकार का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘एक बार जब आपने गवर्नर और डिप्टी गवर्नर नियुक्त कर लिया है तो आपको उनकी बात सुननी चाहिए।’ आरबीआई के डिप्टी गवर्नर द्वारा आरबीआई की आजादी बनाए रखने की पैरवी करने पर राजन ने विरल आचार्य की तारीफ की। उन्होंने कहा कि आरबीआई के समर्थन में विरल आचार्य के चेतावनी की सराहना की जानी चाहिए। राजन के मुताबिक, सरकार और बैंक के बीच की तल्खी खत्म हो जाएगी अगर दोनों एक दूसरे के मकसद को समझ लें।

बता दें कि डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि अगर सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्त्ता का सम्मान नहीं करेगी तो यह देश की तरक्की के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे पहले, खबरें आई थीं कि सरकार देश के पेमेंट सिस्टम के लिए एक अलग से रेग्युलेटर लाने के पक्ष में हैं। फिलहाल आरबीआई ही इस काम को देखता है। सरकार की इस पहल को आरबीआई का काम बांटने के तौर पर देखा गया। विरल के बयान को भी सरकार की इस पहल से जोड़कर देखा गया।

केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच तल्खी उस वक्त भी नजर आई जब कारोबारियों की एक बैठक में आरबीआई का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े एनपीए के लिए केंद्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहरा दिया।