नई दिल्ली: तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए महागठबंधन बना हैं। इस गठबंधन में कांग्रेस-टीडीपी समेत कई दल शामिल हैं। इस महागठबंधन पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि यह महाकुटुम्बी (कांग्रेस-टीडीपी और अन्य के गठबंधन) नहीं है। यह 2018 की ईस्ट इंडिया कंपनी है। मैं आपको बताऊंगा क्यों। तेलंगाना का गठन किया गया था। अब तेलंगाना के फैसले नायडू द्वारा किए जाएंगे, जो विजयवाड़ा में बैठे हैं? नागपुर बेस्ड आरएसएस द्वारा? दिल्ली में कांग्रेस द्वारा ?

गौर हो कि इसी साल सितंबर महीने में तेलंगाना की चंद्रशेखर राव सरकार ने समय से पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी। जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर लिया था। जबकि कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा था। तेलंगाना देश का सबसे नया राज्य है। 2014 में आंध्रप्रदेश के बंटवारे के बाद 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना का भारतीय राजनीति के नक्शे पर उदय हुआ।

मई 2014 में विधानसभा चुनाव में टीआरएस को जबरदस्त कामयाबी मिली। तेलंगाना में कुल 119 सीटों में से 63 सीटों पर टीआरएस ने कब्जा जमाया और इसके साथ ही 17 लोकसभा सीटों में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अभी 119 में से टीआरएस के पास 90, कांग्रेस के पास 13, एआईएमआईएम के पास 7, बीजेपी के पास 5, टीडीपी के पास 3 और सीपीएम के पास 1 सीट है।

तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को अधिसूचना जारी होगी। पर्चा भरने की आखिरी तारीख 19 नवंबर होगी। पर्चा की जांच के लिए तारीख 20 नवंबर है। नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 22 नवंबर है। इसके बाद 7 दिसंबर को मतदान होगा और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। 13 दिसंबर से पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

119 विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में 19 सीटें अनुसूचित जाति और 12 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2013-14 में तेलंगाना में 29,138 पोलिंग स्टेशन थे, इस बार 32,574 होंगे।