नई दिल्लीः पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देश को समर्पित किया। इसे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति कहा जा रहा है। मूर्ति के अनावरण के बाद कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए मोदी ने पूछा कि क्या महापुरुषों का सम्मान करना गुनाह है? वहीं, देश के पहले गृहमंत्री रहे सरदार पटेल के रिश्तेदारों का कहना है कि पटेल लंबे वक्त से इस सम्मान के हकदार थे, लेकिन अगर वह होते तो इस तरह की श्रद्धांजलि के लिए तैयार नहीं होते।

सरदार पटेल के बड़े भाई सोमाभाई पटेल के पोते धीरूभाई पटेल ने कहा, ‘अगर हम उनसे पूछते कि क्या वह अपने नाम पर मूर्ति चाहते हैं तो वह मना कर देते। वह बेहद सामान्य माहौल में पले बढ़े हैं। वह पैसों की कीमत समझते थे।’ 91 साल के धीरूभाई परिवार के 36 अन्य सदस्यों के साथ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण के कार्यक्रम में मौजूद थे। धीरूभाई ने कहा, ‘हम बेहद खुश हैं कि उन्हें आखिरकार वह सम्मान मिला जिसके वह हकदार थे। वह दूरगामी सोच और दृढ़ विश्वास वाले व्यक्ति थे।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरदार पटेल ने सुभाष चंद्र बोस के साथ थोड़ा और वक्त बिताया होता तो और ज्यादा ऊंचाइयों पर होते।

वहीं, धीरूभाई की 62 वर्षीय बेटी ने कहा, ‘उन्होंने (सरदार पटेल) देश के लिए जो किया, उसके सामने यह मूर्ति कुछ नहीं है। वह मेरे पहले हीरो थे और असल मायनों में वह राष्ट्रपिता हैं। मैं उनसे कभी नहीं मिली, लेकिन उनकी बेटी हमारे साथ अहमदाबाद में रही थीं। मैंने उनके बारे में कहानियां सुनी हैं। उनकी हर कहानी प्रेरणादायी है।’

बता दें कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किए जाने के साथ ही विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को सवाल उठाया कि भाजपा ने महात्मा गांधी की कोई बड़ी प्रतिमा क्यों नहीं बनाई और सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि वह स्वतंत्रता सेनानियों और पटेल जैसे राष्ट्रीय नायकों की विरासत को ‘‘हाइजैक’’ करने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा बुधवार को देश को सर्मिपत की।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ‘‘विडंबना’’ है कि सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है लेकिन उन्होंने जिन संस्थाओं के निर्माण में मदद की, उन्हें ध्वस्त किया जा रहा है। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय संस्थाओं को सुनियोजित तरीके से नष्ट किया जाना देशद्रोह से कम नहीं है।