इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक की भर्ती की चयन प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस जांच को छह माह में पूरी करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने एक अन्य याचिका में 12460 सहायक अध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती को खारिज कर दिया है।

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में सभी अभ्यर्थियों को कापियों के पुनर्मूल्यांकन अवसर प्रदान किया था। साथ ही सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दो सप्ताह में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों का पुनर्मूल्यांकन कराने का निर्देश दिये थे।

वही, अक्टूबर के पहले सप्ताह में 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में हुई गड़बड़ी पर बेसिक शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की थी। जांच रिपोर्ट के आधार विभागीय अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी के रजिस्ट्रार जीवेन्द्र सिंह ऐरी और उप रजिस्ट्रार प्रेम चन्द्र कुशवाहा को निलंबित कर दिया था। साथ ही राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सात अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही थी।

जांच टीम ने अपनी छानबीन में पाया कि 343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई थी। जिन कॉपियों में गड़बड़ी थी उनमें से 51 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में सफल थे लेकिन उन्हें फेल कर दिया गया था। अब वे उत्तीर्ण की श्रेणी में हैं। वहीं 53 ऐसे सफल अभ्यर्थी इस परीक्षा में फेल पाए गए हैं जिन्हें शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिल चुकी थी। चीनी उद्योग व गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय कमेटी की जांच के आधार पर ये कार्रवाई की गई थी।

कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि कॉपियों को चेक करने में भारी लापरवाही बरती गई। लिखित परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी की खबरों पर 9 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह को निलंबित कर दिया था। साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा व रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को हटा दिया गया था।

एक अन्य याचिका में हाईकोर्ट ने 12 दिसम्बर 2016 के विज्ञापन के क्रम में हुए 12460 सहायक अध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती को खारिज कर दिया है। साथ ही इन भर्तियों के सम्बंध में नई प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।