नई दिल्ली : राफेल डील अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के घेरे में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से इस सौदे की कीमत और इससे जुड़े अहम ब्योरे सील बंद लिफाफे में उसे सौंपने के लिए कहा है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 10 दिनों का समय दिया है। शीर्ष न्यायालय ने राफेल डील की सीबीआई जांच की अनुमति फिलहाल नहीं दी है।
इससे पहले 10 अक्टूबर के अपने आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि वह केवल इस सौदे की निर्णय प्रक्रिया को देखना चाहेगा। इस डील की कीमत के बारे में उसे जानकारी नहीं चाहिए लेकिन आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस सौदे की कीमत के बारे में जानकारी चाहेगा। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से ऑफशेट कंपनी के चुनाव में अपनाए गए मानकों की जानकारी उसे सील बंद लिफाफे में 10 दिनों के भीतर देने के लिए कहा है।
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फैसला है क्योंकि अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि यहां तक कि संसद में राफेल डील के ब्योरे का खुलासा नहीं हुआ है। ऐसे में यदि कोर्ट में सौदे से जुड़ी अहम जानकारी जाती है तो याचिकाकर्ताओं को इस डील के ब्योरे की जानकारी होने की संभावना बनी रहेगी।
अटार्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि राफेल डील से जुड़ी जानकारी ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के अधीन आती है। इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि यदि ऐसा है तो आप इस बात का उल्लेख हलफनामे में करते हुए सीलबंद लिफाफे में राफेल की कीमत और उससे जुड़े अहम ब्योरे कोर्ट को सौंपें। वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से राफेल सौदे की जांच के लिए सीबीआई को नोटिस जारी करने के लिए कहा। इस पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को पहले अपना विवाद निपटा लेने दीजिए।
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