प्रदूषित हवा से निपटने के लिये उठाने होंगे कड़े कदमः ग्रीनपीस इंडिया
नई दिल्ली। 29 अक्टूबर 2018। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायु प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य पर जारी नयी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 18 साल से कम उम्र के 93% प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। ‘वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य: स्वच्छ वायु निर्धारित करना’ नाम से जारी इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2016 में, वायु प्रदूषण से होने वाले श्वसन संबंधी बीमारियों की वजह से दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के 5.4 लाख बच्चों की मौत हुई है। वायु प्रदूषण बच्चों के स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा खतरा बन गया है। पांच साल से कम उम्र के 10 बच्चों की मौत में से 1 बच्चे की मौत प्रदूषित हवा की वजह से हो रही है।
डब्लूएचओ की इस रिपोर्ट ने इसी साल जनवरी में ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट एयरोप्किल्पिस 2 में प्रदूषित हवा का बच्चों पर असर को लेकर जाहिर चिंता को और ज्यादा मजबूत किया है। डब्लूएचओ के डाटा एकबार फिर यह साबित किया है कि गरीब और मध्यम आयवर्ग के देश बाहरी और घरेलू दोनों तरह के वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है।यह चिंताजनक है कि भारत जैसे देश में लगभग पूरा जनसंख्या डब्लूएचओ और राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानको से अधिक प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है।
ग्रीनपीस इंडिया के वायु प्रदूषण कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, "ग्रीनपीस ने वैश्विक स्तर पर सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण को प्रकाशित किया है। इस विश्लेषण में बताया गया है कि कोयला और परिवहन उत्सर्जन के दो प्रमुख स्रोत हैं। नाइट्रोजन डॉयक्साइड (NO2) भी पीएम 2.5 और ओजोन के बनने में अपना योगदान देता है, ये दोनों वायु प्रदूषण के सबसे खतरनाक रूपों में बड़े क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।”
इस साल 1 जून से 31 अगस्त तक सबसे ज्यादा नाइट्रोजन डॉयक्साइड वाला क्षेत्र दक्षिण अफ्रिका, जर्मनी, भारत और चीन के वे क्षेत्र हैं जो कोयला आधारित पावर प्लांट के लिये जाने जाते हैं। परिवहन संबंधी उत्सर्जन की वजह से सैंटियागो डि चिली, लंदन, दुबई और तेहरान जैसे शहर भी एनओ2 हॉटस्पोट वाले 50 शहरों की सूची में शामिल हैं।
भारत में दिल्ली-एनसीआर, सोनभद्र-सिंगरौली, कोरबा तथा ओडिशा का तेलचर क्षेत्र इन 50 शहरों की सूची में शामिल है। ये तथ्य साफ-साफ बता रहे हैं कि ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में जिवाश्म ईंधन जलने का वायु प्रदूषण से सीधा-सीधा संबंध है।
ग्रीनपीस कैंपेनर लॉरी मिल्लिवर्ता के अनुसार, “जैसा कि हम अपनी रोज की जिन्दगी में वायु प्रदूषण से नहीं छिप सकते, वैसे ही वायु प्रदूषण के लिये जिम्मेवार प्रदूषक भी छिपे नहीं हैं। यह नया उपग्रह आकाश में हमारी आँख की तरह है, जिससे कोयला जलाने वाले उद्योग और परिवहन क्षेत्र में तेल उद्योग जैसे प्रदूषक बच नहीं सकते हैं। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वे इनपर कार्रवायी करें और कठोर नीतियों और तकनीक को अपनाकर अपनी हवा को साफ करें और लोगों की जिन्दगी को बचायें।”
ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी। जिला बार एसोसिएशन की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को जनपद न्यायाधीश दिनेश…
राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 एवं…
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) मोदी जी ने क्या कुछ गलत कहा था? राहुल गांधी अमेठी…
आगरादिनों दिन गिरती मोदी जी की भाषा भाजपा के हार की गारंटी है. मोदी जितना…
यौन उत्पीड़न के आरोपी जद (एस) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एसआईटी ने शिकंजा कसना…
विराट कोहली को अपने स्ट्राइक रेट के चलते कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।…