नई दिल्ली: सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ऊपर कार्रवाई के खिलाफ उनकी ओर से दायर अर्जी पर के सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नवंबर तक इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह दोनों अधिकारियों की अर्जी पर एक नवंबर या उससे पहले जवाब दाखिल करे।

अस्थाना को सरकार ने 24 अक्टूबर को आधी रात को छुट्टी पर भेज दिया है। सीबीआई के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि जवाब देने में इसलिए देर हुई क्योंकि केस से जुड़ी फाइलें केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास भेजी गई हैं। सीबीआई ने जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा।

उच्च न्यायालय ने अस्थाना और सीबीआई के एक अन्य अधिकारी की अर्जियों पर जवाब दाखिल नहीं करने को लेकर जांच एजेंसी पर सवाल उठाए। दोनों अधिकारियों ने इस मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है।

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई को निर्देश दिया कि स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर यथास्थिति बरकरार रखें। अस्थाना ने घूस के आरोप में अपने खिलाफ दायर एफआईआर को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले में जारी जांच पर किसी तरह का स्थगन नहीं है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ इस आरोप को लेकर मामला दर्ज किया कि मांस कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़े एक मामले में जिस एक आरोपी के विरुद्ध वह जांच कर रहे थे और इस मामले में उन्होंने रिश्वत ली। दो महीने पहले अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ यही शिकायत की थी।

अस्थाना के अलावा एजेंसी ने डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार और मनोज प्रसाद, कथित बिचौलिये सोमेश प्रसाद और अन्य अज्ञात अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया। उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात, 13(2) और 13 (1) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात-ए भी लगाई गई है। सीबीआई ने सूचित किया कि इन धाराओं में किसी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेने के जरूरत नहीं होती।