नई दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए भाजपा धर्म का सहारा लेती है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बयान की निंदा की है कि कोर्ट को ऐसे फैसला देने से बचाना चाहिए, जिसका अनुपालन न हो।

मायावती ने कहा कि अमित शाह का यह कहना कि कोर्ट को आस्था से जुड़े मामले में फैसला देने से बचना चाहिए, दुर्भाग्यपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान जरूर लेना चाहिए। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष के गैर जिम्मेदाराना बयान से यह साफ है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा कि सीबीआई, सीवीसी, ईडी और भारतीय रिजर्व बैंक जैसी देश की महत्वपूर्ण स्वायत्तशासी संस्थाओं में मौजूदा समय संकट का दौर चल रहा है। यह केंद्र सरकार की देन है। देश संविधान से चलता है और इसी आधार पर आगे भी चलता रहेगा, लेकिन सत्ताधारी भाजपा राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए ऐसे बयान दे रही है।

उन्होंने कहा कि अमित शाह द्वारा सबरीमाला मंदिर मामले पर भाषण देकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि राज्यों में हो रहे चुनावों में धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश का मौलिक व संवैधानिक अधिकार घोषित किया है। सुप्रीम के फैसले पर भाजपा को अगर आपत्ति है तो कानूनी तौर पर इसके उचित समाधान का प्रयास करना चाहिए। भाजपा द्वारा राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ के लिए धर्म का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक चुनाव के समय भाजपा इसे लेकर और उग्र व आक्रामक हो जाती है, लेकिन अब इस मामले में भाजपा की कलई जनता के सामने खुल गई है। देश के लोग देख रहे हैं कि धर्म व भगवा की आड़ में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जनहित, जनकल्याण, देशहित व विकास संबंधी अपनी तमाम कमियों, विफलताओं व गलत नीति व कार्यों को छिपाना चाहता है, जो कि अति दुर्भाग्यपूर्ण है।