श्रेणियाँ: विविध

बेन्यामिन की जैस्मिन डेज़ ने जीता साहित्य का पहला जेसीबी पुरस्कार

खाड़ी में दक्षिण एशियाई प्रवासियों के बारे में लिखे गए उपन्यास को मिला 25 लाख रुपये का पुरस्कार

लखनऊ। साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार के पहले संस्करण के विजेता के रूप बेन्यामिन के नाम की घोषणा की गई। बेहतर लेखन और गहन समकालीन प्रासंगिक विशिष्टता की वजह से जैस्मिन डेज़ जूरी की सर्वसम्मत पसंद बनी। मलयालम भाषा से इस पुस्तक का अनुवाद शहनाज हबीब द्वारा किया गया है। विजेता को भारत का सबसे ज्यादा नकद पुरस्कार राशि के तौर पर 25 लाख रुपये का पुरस्कार के साथ ही साथ एक शानदार ट्रॉफी प्रदान की गई। इस ट्रॉफी को दिल्ली के कलाकार द्वय ठुकराल एवं तागरा ने तैयार किया है, जिसे मिरि मेल्टिंग नाम दिया है। पुरस्कार जीतने वाली किताब के अनुवादक को अतिरिक्त 5 लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया।

बेन्यामिन ने विभिन्न विद्याओं में करीब 20 किताबें लिखी हैं, जिनमें लघु कथा से लेकर उपन्यास और संस्मरण तक शामिल हैं, और वे हमारे समय के अग्रणी साहित्यिक शख़्सियतों में से एक हैं। उनके मलयालम भाषा के उपन्यास समकालीन मुद्दों और वास्तविकताओं के साथ नवाचार एवं प्रयोग को उत्कृष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं, जो क्षेत्रीय भाषा के लेखकों की निहित क्षमता का प्रदर्शन करता है।

बेन्यामिन 1992 में बहरीन चले गए थे और क्रांति के दो साल बाद 2013 में अपने राज्य केरल वापस आए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे गणित पसंद था। बहरीन पहुंचने से पहले तक मैंने साहित्य को कभी गंभीरता से नहीं लिया था।’’ उनकी आलोचनात्मक उपन्यास एदुजीवितम या गॉट डेज़ को केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है और नवीनतम पुरस्कार विजेता उपन्यास समान रूप से सहानुभूतिपूर्ण और नैतिक रूप से जटिल हमारे समय के कुछ दुरुह प्रश्नों का सामना करता है। जैस्मिन डेज़ शहर की एक युवा महिला की कहानी है, जहां क्रांति का वादा विनाश और विभाजन में बदल जाता है। यह जैस्मिन क्रांति के आसपास की कहानी है, जो दिसंबर 2010 में उभरा था और जनवरी 2011 तक मध्य पूर्व तक फैल गया था। बेन्यामिन ने अपने इस उपन्यास को ‘‘कट्टरपंथियों से भरे आज की दुनिया का रूपक’’ बताया है।

जज शहनाज हबीब के इस मलयालम उपन्यास के कुषल अनुवाद से भी बेहद प्रभावित हुए। केरल में पैदा हुए और पले-बढ़े शहनाज अब न्यूयॉर्क में रहते हैं और बे पाथ यूनिवर्सिटी में लेखन पढ़ाते हैं तथा यूनाइटेड नेशंस के परामर्शक हैं। बेन्यामिन की प्रोफाइल को देखते हुए, शहनाज ने अनुवाद पर काम करते समय बहुत ध्यान आकर्षित किया, यह घोषणा करते हुए कि बेन्यामिन का अनुवाद ‘‘पहली बार अनुवाद करने वाले द्वारा किया गया है, दोनों के लिए खुशी और आशंकित करने वाला क्षण था।

Share

हाल की खबर

मोदी जी की भाषा हार स्वीकार कर लेने वाली है: शाहनवाज़ आलम

फतेहपुर सीकरी, आगरा, 28 अप्रैल 2024. कमज़ोर तबकों के सामने संविधान बचाने का आख़िरी मौक़ा…

अप्रैल 28, 2024

मोहसिना की कोठी क्या तनुज की राह करेगी आसान, क्या टोटका करेगा काम?

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी। मोहसिना क़िदवई, राजनीतिक गलियारे का एक बहुत कद्दावर नाम। नब्बे…

अप्रैल 28, 2024

बहराईच: मेले में लगा झूला अचानक टूटने से आधा दर्जन जख्मी

एक बालिका की हालत गंभीर, मेडिकल कालेज रेफरबाबा अहमद शाह की मजार पर गुरूवार से…

अप्रैल 26, 2024

जिला बार एसोसिएशन चुनाव: हिसाल बारी किदवई अध्यक्ष, अशोक वर्मा महामंत्री निर्वाचित

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी। जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव की मतगणना शांतिपूर्ण माहौल…

अप्रैल 25, 2024

UPSIFS ने किया IIIT लखनऊ के साथ आठवां MoU

लखनऊ ।उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फरेंसिक साइन्स लखनऊ ने आज संस्थान को और अधिक…

अप्रैल 25, 2024

सीएए : एक क़ानून धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक संविधान के ख़िलाफ़

(आलेख : शमसुल इस्लाम) भारत में राष्ट्रविरोधी, अमानवीय एवं धार्मिक रूप से कट्टर नागरिकता संशोधन…

अप्रैल 19, 2024