नई दिल्ली: सीबीआई में चल रहे घूस कांड को लेकर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसे कोर्ट ने मजूर कर लिया है और इस पर 26 अक्टूबर 2018 को सुनवाई होगी। वहीं केंद्र सरकार ने विवादों में उलझे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से सारे अधिकार वापस ले लिए हैं। शीर्ष जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहला इस तरह का मामला है। सरकार अगले कुछ घंटों में बयान जारी कर सकती है।

एक सरकारी आदेश में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नियुक्ति समिति ने मंगलवार की रात संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से सीबीआई निदेशक का प्रभार दिया। इस आदेश का मतलब यह है कि सरकार ने सीबीआई के पदानुक्रम में संयुक्त निदेशक से वरिष्ठ स्तर यानी अतिरिक्त निदेशक रैंक के तीन अधिकारियों को दरकिनार कर नागेश्वर राव को एजेंसी के निदेशक का प्रभार दिया। जिन तीन अतिरिक्त निदेशकों को दरकिनार किया गया उनमें ए के शर्मा भी शामिल हैं। अस्थाना की ओर से की गई शिकायत में शर्मा का नाम सामने आया था। वहीं सीबीआई मुख्यालय सील कर दिया गया है। लेकिन पहले वहां न तो सीबीआई कर्मियों और न ही बाहरी लोगों को जाने की इजाजत दी जा रही थी, क्योंकि अधिकारियों की एक टीम इमारत में थी। हालांकि, अब इमारत में प्रवेश की इजाजत दी जा रही है।